मथुरा:बिज़नेस कई तरह के होते हैं. पर क्या आप सोच सकते हैं कि बच्चों को खरीदने बेचने का भी कारोबार होता है ?लेकिन ऐसा हुआ है.सोशल मीडिया पर निसंतानों को बच्चा बेचने Baby selling वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है.पुलिस ने महिला समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने जाल बिछाकर इस गैंग को पकड़ा है.
Baby selling: अखबारों में बाकायदा विज्ञापन देकर झांसा
SSP शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि बाल कल्याण समिति अध्यक्ष राजेश दीक्षित को सोशल मीडिया पर 8 दिन पहले एक विज्ञापन दिखा, जिसमें जरूरतमंदों को बच्चे देने की बात कही गई थी.विज्ञापन पर नंबर भी दिया हुआ था.उस विज्ञापन को देखकर मानव तस्करी विरोधी इकाई विशेष किशोर पुलिस इकाई और साइबर सेल हरक़त में आ गया.
गिरोह को पुलिस ने ऐसे पकड़ा
एएचटीयू प्रभारी कर्मवीर सिंह ने साइबर सेल की मदद से सोशल मीडिया आईडी का डाटा निकलवाया और मोबाइल नंबरों की लोकेशन पता की.इसके बाद गिरोह से बच्चा खरीदने के लिए कॉल किया और उनको अपने जाल में फंसाया. करीब छह दिन की मेहनत के बाद शनिवार को यह गिरोह के लोग मथुरा पहुंचे .वहां पुलिस ने उन्हें दबोच लिया. इनसे एक नवजात बच्ची भी बरामद हुई.आरोपियों की पहचान धर्मेंद्र शर्मा , श्याम, रामबाग और रितु के तौर पर हुई.इस गिरोह का सरगना धर्मेंद्र था,जिसने बताया कि वह अब तक 25 बच्चों का सौदा कर चुके हैं. अपने साथ लाई बच्ची को आगरा के बिचपुरी सरकारी अस्पताल में भर्ती प्रसूता से लिया था.
नर्स और आशा कार्यकर्ता करती थी मदद
गिरोह ने बताया कि उनका संपर्क नर्स व आशाओं से रहता है. जहां भी बच्चा होता है, उसके परिजनों से संपर्क करते हैं. ऐसे दंपती, जिनको कई बेटे या बेटियां हो चुकी हैं. उनको लालच में फंसाते हैं और बच्चा खरीद लेते हैं.इसमें आशा व नर्स को सूचना देने की एवज में रकम देते थे. पुलिस अब यह पता लगा रही है कि आखिर कितने बच्चे गैंग ने चुराए या खरीदे हैं.ये बच्चे किसके थे, उनको कहां बेचा गया, गैंग में और कौन-कौन शामिल है. यह गैंग दो लाख रुपये बेटी के लिए और चार लाख रुपये बेटे के लिए वसूलते थे.जबकि बच्चों को सिर्फ़ 20 से 50 हजार रुपये में खरीदते थे.