सोमवार को दिल्ली वालों की सुबह घनी धुंध के साथ हुई. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में दीवाली पर प्रतिबंध के बावजूद पटाखें जलाए गए. नतीजा ये हुआ कि सोमवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 420 है, जो ‘खतरनाक’ स्तर से काफी ऊपर था.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, आज प्रदूषण का स्तर बढ़ गया इसका एक मात्र कारण है पटाखे जलाना. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बीजेपी अपनी ज़िम्मेदारी को नहीं निभाना चाहती, ये दुर्भाग्यपूर्ण है…बीजेपी चाहती थी कि पटाखे जलाए जाएं और तीनों राज्यों(दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) में पुलिस बीजेपी के पास है…:
#WATCH …आज प्रदूषण का स्तर बढ़ गया इसका एक मात्र कारण है पटाखे जलाना। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी भाजपा अपनी ज़िम्मेदारी को नहीं निभाना चाहती, ये दुर्भाग्यपूर्ण है…भाजपा चाहती थी कि पटाखे जलाए जाएं और तीनों राज्यों(दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) में पुलिस भाजपा के पास… pic.twitter.com/CXKgtf8ArS
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 13, 2023
कोलकाता और मुंबई भी दुनिया के 10 प्रदूषित शहरों में शामिल
लेकिन ये हाल सिर्फ दिल्ली का नहीं था. देश के दो अन्य शहरों कोलकाता और मुंबई में भी स्थिति खराब ही रही. आने वाली सर्दियों के साथ-साथ दीवाली के जश्न ने थोड़े समय में ही यहां कि हवा को खराब कर दिया. जिसके चलते ये दुनिया के सबसे प्रदूषित 10 शहरों में चौथे और आठवें स्थान पर पहुंच गए.
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) के अनुसार, कोलकाता के अधिकांश हिस्सों में AQI 250 के स्तर को पार कर गया. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR-इंडिया) के अनुसार, मुंबई में AQI 234 अंक पर ‘खराब’ श्रेणी में गिर गया.
अच्छा AQI कितना होता हैं
तो आपको बता दें, 0 से 100 तक AQI को अच्छा माना जाता है, जबकि 100 से 200 तक मध्यम, 200 से 300 तक खराब, 300 से 400 तक बहुत खराब और 400 से 500 या इससे ऊपर के AQI को गंभीर माना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर दिए थे कड़े निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को बेरियम और अन्य प्रतिबंधित रसायनों से बने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. प्रतिबंध हर राज्य के लिए अनिवार्य था, न कि केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तक सीमित था, जो पिछले 2 हफ्तों से गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है.
कोर्ट ने कहा था कि, “उत्सव तभी मनाया जा सकता है जब आपके पास जो है उसे साझा करें. पर्यावरण को प्रदूषित करके नहीं. यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप स्वार्थी हो रहे हैं…आजकल बच्चे ऐसा नहीं करते, बल्कि बुजुर्ग अधिक पटाखे जला रहे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उड़ाई गई धज्जियां
लेकिन दीवाली पर देश भार में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रुक-रुक कर पटाखे चलने की आवाजें सुनाई दे देती रही, रात होते-होते ये आवाज़ काफी बढ़ गई.
पटाखों पर किसी न किसी तरह से प्रतिबंध तो लगाए जा रहे हैं, लेकिन उन प्रतिबंधों का पालन कम ही हो पाता है. हलांकि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के अन्य प्रमुख कारणों में पराली जलाना, वाहनों से निकलने वाला धुआँ और औद्योगिक प्रदूषण भी शामिल हैं.