बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि वह नकदी के बदले सवाल पूछने के मामले में गुरुवार (2 नवंबर) को लोकसभा की आचार (ethics) पैनल के सामने पेश होंगी. इसके साथ ही सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने दो पन्नों का एक पत्र पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई से “जिरह” करने की अपनी इच्छा का जिक्र किया, अनंत देहाद्राई ने महुआ मोइत्रा पर संसद में प्रश्न पूछने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.
दर्शन हीरानंदानी से भी जिरह करना चाहती है महुआ
सांसद महुआ मोइत्रा ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जिरह करने की अपनी मांग भी दोहराई है. दर्शन हीरानंदानी ने एक “शपथ हलफनामे” में सांसद पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए अदानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए अपने संसद लॉगिन साझा करने का आरोप लगाया था.
महुआ में एक्स पर क्या लिखा
सांसद महुआ मोइत्रा ने एक्स पर अपनी चिट्ठी पोस्ट करते हुए लिखा, “चूंकि एथिक्स कमेटी ने मीडिया को मेरा समन जारी करना उचित समझा, इसलिए मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि मैं भी कल अपनी “सुनवाई” से पहले समिति को अपना पत्र जारी करूं.”
Since Ethics Committee deemed it fit to release my summons to the media I think it is important I too release my letter to the Committee before my “hearing” tomorrow. pic.twitter.com/A8MwFRsImk
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) November 1, 2023
महुआ ने पत्र में क्या लिखा है
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने पत्र में लिखा है कि वह देहाद्राई और हीरानंदानी से जिरह करने की इच्छा के बारे में अपनी मांग “रिकॉर्ड पर रखना” चाहती हैं. मोइत्रा की एक्स पोस्ट में लिखा है, “मैं रिकॉर्ड पर रखना चाहता हूं कि मैं समिति से अनुरोध कर रहा हूं कि वह लिखित में जवाब दे और इस तरह की जिरह की अनुमति देने या अस्वीकार करने के अपने फैसले को रिकॉर्ड में रखे.”
इसके अलावा, उन्होंने सवाल किया कि क्या नैतिकता पैनल इस तरह की कथित आपराधिक मामले की जांच करने के लिए सही मंच है, इन्होंने कहा कि केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियां ही “संसद में भारी बहुमत का आनंद ले रही सरकारों के समितियों के थोड़े से दुरुपयोग” से बचने के लिए जांच कर सकती हैं.
इसके साथ ही मोइत्रा ने कहा कि अगर एथिक्स पैनल किसी विभाग से मांगी गई किसी रिपोर्ट पर भरोसा करता है, तो उसे दस्तावेज़ की एक प्रति भी दी जानी चाहिए और संबंधित विभाग से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
टीएमसी सांसद, जिन्होंने पहले अपने पूर्व निर्धारित विजयादशमी कार्यक्रमों का हवाला देते हुए 5 नवंबर के बाद सम्मन की तारीख का अनुरोध किया था, ने कहा कि यह “बेहद आश्चर्यजनक” था कि नैतिकता पैनल ने इसे अस्वीकार कर दिया. उन्होंने बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी का उदाहरण दिया, जिन्हें लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने 10 अक्टूबर को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दानिश अली के साथ अभद्र भाषा विवाद पर तलब किया था, लेकिन बाद में उनके अनुरोध अनुसार उन्हें पेश होने की अनुमति दी गई थी.
“दोहरे मानकों” का हवाला देते हुए, मोइत्रा ने कहा कि बिधूड़ी के उदाहरण से “राजनीतिक उद्देश्यों” की बू आती है और यह विशेषाधिकारों और नैतिकता पैनलों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है.
क्या है कैश-फॉर-क्वेरी मामला
आपको बता दें बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और फिर नैतिकता पैनल को पत्र लिख सांसद महुआ मोइत्रा की शिकायत की थी. निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि सदन में सवाल पूछने के लिए महुआ ने रिश्वत ली है. निशिकांत ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के एक पत्र के आधार पर ये आरोप महुआ पर लगाए हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील ने अपने पत्र में कहा कि उनके पास पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए महुआ मोइत्रा को रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी ग्रुप के द्वारा प्रतिद्वंद्वी अडानी ग्रुप के बारे में सवाल पूछने के बदले रिश्वत देने के पक्के (“अकाट्य सबूत”) सबूत हैं.
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