सुप्रीम कोर्ट ने कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े एक मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी. ‘घोटाले’ में उनकी कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से सिसोदिया हिरासत में हैं.
फास्ट ट्रैक ट्रायल का दिया निर्देश
यह फैसला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सुनाया, जिसने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को मामले की सुनवाई छह से आठ महीने के भीतर पूरी करने के लिए कहा, और यदि सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है, तो सिसोदिया जमानत के लिए आवेदन करने के हकदार होंगे.
17 अक्तूबर को सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को शराब नीति घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर नियमित जमानत की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने पूछा था कि सिसौदिया के खिलाफ रिश्वत के आरोप के अभाव में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध कैसे बनाया जाएगा.
कोर्ट ने पूछा था कि निचली अदालत में ट्रायल कब तक पूरा होगा
सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी से कहा था कि वे दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामलों में सिसोदिया को हमेशा के लिए जेल में नहीं रख सकते और एएसजी से पूछा था कि निचली अदालत में सिसोदिया के खिलाफ आरोप पर बहस कब शुरू होगी.
पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू से कहा था कि, ”किसी मामले में एक बार आरोपपत्र दाखिल हो जाने पर बहस तुरंत शुरू होनी चाहिए.”
सिसोदिया इस साल फरवरी से हिरासत में हैं
सिसौदिया पर आरोप है कि उन्होंने दक्षिण के शराब डीलरों के एक समूह, जिसे “साउथ ग्रुप” कहा जाता है, को फायदा पहुंचाने के लिए अब खत्म हो चुकी आबकारी नीति में बदलाव किए, जिससे नई व्यवस्था के तहत लाभ मार्जिन बढ़ाकर सरकारी खजाने को नुकसान हुआ.
आम आदमी पार्टी (आप) नेता सिसोदिया इस साल फरवरी से हिरासत में हैं और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों उनकी जांच कर रहे हैं.
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