नई दिल्ली : हिंदी भाषी क्षेत्र के तीन राज्य में होने वाले विधानसभा के चुनाव की तारीखों का एलान बस होने ही वाला है,लेकिन कांग्रेस हो या बीजेपी, सभी की तैयारियां पूरी है और कैंडिडेट्स के नामों की घोषणा हो रही है. मध्यप्रदेश के लिए बीजेपी ने अपनी दूसरी लिस्ट जारी की जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतार दिया है.
बिना चेहरा एमपी,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में लड़ेगी BJP
बीजेपी सदैव चुनावों की तैयारी में दूसरी पार्टियों से 2 कदम आगे रहती है ,हर चुनाव में अलग अलग रणनीति के साथ चुनाव में उतरती है. इस बार बीजेपी के सूत्रों से जो खबर है,वो ये है कि इस बार बीजेपी विधानसभा चुनावों से पहले किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनायेगी.कर्नाटक और हिमाचल चुनाव में हार के बाद बीजेपी ने नई रणनीति के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
दरअसल बीजेपी की रणनीति है कि इस बार राज्य के चुनाव चेहरे पर नहीं बल्कि पीएम मोदी के चेहरे और सामूहिक नेतृत्व के रुप में चुनाव लड़ा जाये.
BJP की अंदरुनी गुटबाजी और महत्वाकांक्षा पर रोक लगाने की कवायद
पार्टी सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्रीय नेतृत्व ने क्षेत्रिय नेताओं की प्रतिद्वंदिताओं और महात्वकांक्षाओं को कंट्रोल में रखने के लिए इस तरह का कदम उठाया है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने उन सीटों पर बड़े उम्मीदवारों के उतारा है जहां पार्टी की स्थिति कमजोर है. दूसरी ओर पार्टी को भाई भतीजावाद और वंशवाद के आरोपों से बचाने की भी कोशिश है.
बीजेपी की इस रणनीति की झलक मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए जारी दूसरी लिस्ट से सामने आ गई, जब पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों प्रल्हाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते समेत 7 सासंदों को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला कर लिया.केंद्रीय मंत्रियों के साथ साथ बीजेपी के महासचिव कैलाश विजय वर्गीय को उस विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है जहां से उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने की खबर थी.
BJP की मजबूत टीम के जरिये कांग्रेस को पटखनी देने की तैयारी
माना जा रहा है कि बीजेपी को अपनी बेस्ट टीम को चुनावों में उतार कर कांग्रेस पर बढ़त हासिल करने में मदद मिलेगी, इसके साथ ही अनुभवी नेताओं को पांच साल पहले की हारी हुई सीटों को वापस जीतने का मौका मिलेगा. पीएम का नाम और बड़े नेताओं को मैदान में उतरने से बीजेपी को कांग्रेस को पटखनी देने में मदद मिलेगी.
BJP की रणनीति के फायदे भी और नुकसान भी..
राजनीतिक जानकारों की माने जो बीजेपी की इस रणनीति के फायदे और नुकसान दोनों है. जहां एक तरफ पीएम के लोकप्रिय चेहरे पर वोट मांगकर बीजेपी एमपी में सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ जुड़ी एंटी इंक्मबेंसी (Anti Incumbency) से छुटकारा पा सकती है ,वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अशोक गहलोत और भूपेश बघेल के मुकाबले पीएम का चेहरा आगे कर चुनावी बढ़त भी ले सकती है. लेकिन सवाल ये है कि अगर बीजेपी पीएम के चेहरे पर लड़ी और उसका ये दाव काम नहीं आया तो क्या होगा. एक साल से भी कम समय में लोकसभा चुनाव होने है, फिर लोकसभा चुनाव में बीजेपी किसके चेहरे पर चुनाव लड़ेगी ?