आनन-फानन में बुलाए गया संसद सत्र विवादों की भेंट चढ़ गया. शुरुआत संविधान के प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द के हटाए जाने से हुई. फिर महिला आरक्षण बिल के तुरंत लागू नहीं होने और उसमें ओबीसी आरक्षण की मांग ने ऐतिहासिक बिल की चमक फीकी कर दी. इसके बाद बीजेपी नेता रमेश बिधुड़ी की लोकसभा में शर्मनाक हरकत ने तो संसद ही नहीं देश की भावना को आहत किया और नई संसद में शिफ्ट होने को लेकर जो उत्साह था उसपर पानी फेर दिया.
इस सब विवादों में अगर कुछ मिस हुआ तो वो था पहली बार संसद को देखने के बाद विपक्ष का रिएक्शन….वैसे तो राहुल गांधी ने लोकसभा में दिए अपने भाषण के दौरान मोर पंखों से सजी लोकसभा की खूबसूरती की तारीफ की. लेकिन मीडिया को बाकी पार्टियों और सांसदों के लोकसभा कैसी लगीं ये जानने और पूछने का मौका ही नहीं मिला.
अब कांग्रेस महासचिव और नेता जयराम रमेश ने इसपर अपने विचार सोशल मिडिया एक्स पर साझा किए है. अपने पोस्ट में जयराम रमेश ने नई संसद की खामियां तो बताई ही लेकिन साथ ही ये भी कह दिया कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद जब सत्ता बदलेगी तो संसद को बेहतर बनाया जाएगा.
नड्डा ने दिया जयराम रमेश को जवाब
अब जब जयराम रमेश ने नई संसद की आलोचना कर ही दी तो बीजेपी कैसे चुप रहती. तो जयराम रमेश के आलोचना के जवाब में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस को करारा जवाब देते हुए एक पोस्ट लिख दिया. नड्डा ने लिखा, “कांग्रेस पार्टी के निम्नतम मानकों के हिसाब से भी यह एक दयनीय मानसिकता है. यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अपमान के अलावा और कुछ नहीं है.
वैसे भी, यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस संसद विरोधी है. उन्होंने 1975 में कोशिश की और यह बुरी तरह विफल रही.😀
”
Even by the lowest standards of the Congress Party, this is a pathetic mindset. This is nothing but an insult to the aspirations of 140 crore Indians.
In any case, this isn’t the first time Congress is anti-Parliament. They tried in 1975 and it failed miserably.😀 https://t.co/QTVQxs4CIN
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) September 23, 2023
जयराम रमेश को संसद में क्या पसंद नहीं आया
वैसे बीजेपी की नाराज़गी अपनी जगह, चलिए हम आपको बताते है कि जयराम रमेश को संसद में क्या पसंद नहीं आया.
तो जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखा, “इतने भव्य प्रचार-प्रसार के साथ उद्घाटन किया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है. इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए. चार दिनों में मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद ख़त्म हो गई है. यदि वास्तुकला लोकतंत्र को ख़त्म कर सकती, तो संविधान को फिर से लिखे बिना ही प्रधानमंत्री इसमें सफल हो गए हैं. हॉल के कंपैक्ट (सुगठित) नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस होती है. पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं. एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था. नया भवन संसद के संचालन को सफ़ल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमज़ोर करता है. दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब अत्यधिक कठिन हो गया है. अगर आप पुरानी इमारत में खो जाते तो आपको अपना रास्ता फिर से मिल जाता क्योंकि वह गोलाकार है. नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो भूलभुलैया में खो जाएंगे. पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है. अब संसद में भ्रमण का आनंद गायब हो गया है. मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था. नया कॉम्प्लेक्स दर्दनाक और पीड़ा देने वाला है. मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन्स से परे मेरे कई सहयोगी भी ऐसा ही महसूस करते होंगे. मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिज़ाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है. ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है. 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा.“
इतने भव्य प्रचार-प्रसार के साथ उद्घाटन किया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है। इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए। चार दिनों में मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद ख़त्म हो गई है। यदि वास्तुकला… https://t.co/z2s65xrHqJ
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 23, 2023
ये भी पढ़ें-OBC reservation: महिला आरक्षण बिल ओबीसी कोटे से ध्यान भटकाने की रणनीति है: राहुल…