बुधवार को लोकसभा में पारित महिला आरक्षण विधेयक, संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन आज (गुरुवार) राज्यसभा में एक और अग्निपरीक्षा से गुज़र रहा है. राज्य सभा में आज इस बिल पर चर्चा हो रही है.
21वीं सदी महिलाओं की सदी है-नड्डा
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिल पर अपनी पार्टी के विचार रखते हुए कहा कि, 21वीं सदी महिलाओं की सदी है. विज्ञान और तकनीक, रक्षा, शिक्षा में – हमारी महिलाओं ने महत्वपूर्ण प्रगति की है. हम महिलाओं को बेचारा या अबला के रूप में नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं
नड्डा ने कहा, मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाला व्यक्ति गरीबों का दर्द क्या समझेगा? लेकिन पीएम मोदी ऐसा करते हैं. वह गरीबी से जूझ रहे वर्गों, विशेषकर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को समझते हैं और उन्हें उनके अधिकार प्रदान कर रहे हैं.
#WATCH आज सॉफ्टवेयर की दुनिया में 21% महिलाएं हैं। आज ISRO में मंगल मिशन हो,चंद्रयान मिशन हो या Aditya-L1 हो, इन सबमें महिला वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान है: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा pic.twitter.com/z7gUblLOoE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 21, 2023
ओबीसी आरक्षण पर बोले नड्डा
यह विधेयक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों की श्रृंखला में नवीनतम है. कई लोगों ने चिंता जताई है कि ओबीसी महिलाओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है. यह सुप्रीम कोर्ट ही था जिसने 92 में ओबीसी आरक्षण दिया था. यह बीजेपी ही थी जिसने भारत को पहला ओबीसी पीएम दिया.
नड्डा पर खरगे का वार, कहा कल करे सो आज कर
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि अगर आज ये बिल पाल हो जाएगा तो 2029 तक इसे लागू किया जा सकेगा. नड्डा ने कहा भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी कच्चा कम नहीं, बल्कि पक्का कम करते हैं. सरकार को कानून के अनुरूप काम करना चाहिए. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह कानून के अनुपालन में किया जा रहा है.
बीजेपी अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि बिल को 2029 से पहले लागू नहीं किया जा सकता है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- “कल करने का आज करो, आज करने का अब करो। पल में प्रलय होगा, तो फिर करेंगे कब? हम तैयार हैं, यह असंवैधानिक नहीं है.”
बाकी पार्टियां भी अपने महिला आरक्षण पर अपने विचार रख रही हैं.
डीएमके सांसद कनिमोझी एनवीएन सोमू: दुखद बात यह है कि महिलाओं को इस विधेयक के लाभ के लिए 2029 तक इंतजार करना होगा, भले ही यह आज पारित हो जाए। सरकार सगाई समारोह तो कर रही है, लेकिन शादी कब होगी, इसका हमें कोई अंदाज़ा नहीं है।
टीएमसी सांसद डोला सेन: मणिपुर एकमात्र राज्य है जहां 50% महिला आरक्षण है। मणिपुर में क्या हो रहा है? मणिपुर की माताओं, बेटियों के बारे में क्या? ये ‘डबल इंजन’ सरकार क्या जिम्मेदारी लेगी? कई महीने हो गये. तृणमूल कांग्रेस सांसद डोला सेन का कहना है कि यह बिल कई नेताओं और पार्टियों की कोशिशों का नतीजा है. “इसका श्रेय सिर्फ बीजेपी को नहीं है. महिला आरक्षण लागू करने का प्रयास काफी समय से चल रहा है.”
भारत राष्ट्र समिति के केशव राव ने पूछा कि बिल को तत्काल लागू करने के लिए 2011 की जनगणना को एक बेंचमार्क के रूप में क्यों स्वीकार नहीं किया जा सकता था, जैसे सरकार ने कई मौकों पर 2001 की जनगणना को स्वीकार किया है।
बीजद सांसद ममता मोहंता ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह बीजू जनता दल की लंबे समय से चली आ रही मांग है.
आप सांसद संदीप पाठक का कहना है कि विधेयक को ध्यान से पढ़ने पर इसके लागू होने की अनिश्चित समयसीमा के कारण उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. “18 करोड़ की नौकरी, काला धन वापस लाना, महँगाई कम करना…जुमला निकला. ये भी एक जुमला है.”
पाठक ने कहा सरकार इस कानून को लाने में जल्दबाजी कर रही है क्योंकि उन्हें ध्यान भटकाने की जरूरत है. वे श्रेय चाहते हैं, लेकिन वे इसे लागू नहीं करना चाहते. यह एक ऐतिहासिक बिल हो सकता था, लेकिन ऐसा नहीं है. और ये कैसा लोकतंत्र है? विपक्षी सदस्यों से पहले मीडिया को पता चल जाता है कि सरकार यह बिल ला रही है!
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