Thursday, December 12, 2024

Ramcharitmanas Row: बिहार के शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस की तुलना साइनाइड से की, बीजेपी ने काग्रेस से मांगी सफाई

नीतीश कुमार के शिक्षा मंत्री एक बार फिर चर्चा में है. इसबार उन्होंने रामचरितमानस की तुलना साइनाइड से कर दी है. गुरुवार (14 सितंबर) को पटना में हिंदी दिवस के एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा, “यदि आप 56 प्रकार के व्यंजन परोसेंगे और उसमें पोटेशियम साइनाइड मिलाएंगे, तो क्या आप इसे खाएंगे? यही समानता हिंदू धर्म के ग्रंथों पर भी लागू होती है.”
बिहार के शिक्षा मंत्री के इस बयान की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. चंद्रशेखर ने अपने बयान के समर्थन में ये भी कहा कि, ‘यह सिर्फ मेरा विचार नहीं है, बल्कि महान हिंदी लेखक नागार्जुन और समाजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया ने भी कहा है कि रामचरितमानस में कई प्रतिगामी विचार हैं’

शिक्षा मंत्री ने रामचरित्र मानस को लेकर इस साल के शुरुआत में भी इसी तरह की टिप्पणियों की थी. वैसे चंद्र शेखर ने स्वीकार किया कि ‘शास्त्रों में कई महान बातें हैं’ लेकिन उन्होंने यह भी कहा, ‘अगर किसी दावत में पोटेशियम साइनाइड के छिड़काव के साथ 55 व्यंजन परोसे जाते हैं, तो भोजन उपभोग के लिए अयोग्य हो जाता है.’

अच्छा गुरु रखे शिक्षा मंत्री- नित्यानंद राय

बिहार के मंत्री चन्द्रशेखर के ‘रामचरितमानस में पोटेशियम साइनाइड है’ वाले बयान बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “मैं उनसे कहना चाहता हूं कि एक अच्छा गुरु रख लें, रामायण की प्रत्येक पंक्ति को पढ़ें, प्रत्येक शब्द के भाव को जानें और फिर रामायण-महाभारत पर टिप्पणी करें…यह उनकी बीमार मानसिकता का परिचायक है, यह तुष्टिकरण का परिचायक है. साइनाइड महाभारत और रामायण नहीं हैं. साइनाइड तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार और अपराधियों को शरण देने वाली सरकारें हैं.”

हिमंता बिस्वा सरमा ने शिक्षा मंत्री के बयान पर कांग्रेस से मांगी सफाई

वहीं बिहार के नालंदा पहुंचे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आरजेडी नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री के रामायण वाले बयान पर कांग्रेस को घेरा. शरमा ने कहा, “हर दिन सनातन विरोधी बयान आने लगे हैं. जब ऐसे बयान आते हैं तो हमारा प्रश्न होता है कि इसपर कांग्रेस की प्रतिक्रिया क्या है? लेकिन कांग्रेस या तो इसपर प्रतिक्रिया नहीं देती है या इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताती है. अगर भारत के 80% लोगों के विश्वास, परंपरा पर प्रहार होता है और कांग्रेस उसपर प्रतिक्रिया नहीं देती तो यह साफ है कि इसके पीछे कांग्रेस ही है.”

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