Friday, November 8, 2024

भारत का Chandrayaan-3 पहुंचा अहम मुकाम पर, चाँद पर मिला Oxygen का भण्डार ?

Chandrayaan-3 Mission: पूरे देश की निगाहें Chandrayaan-3 पर टिकी हुई हैं. आज का दिन चंद्रयान 3 मिशन के लिए बेहद जरुरी है. आज विक्रम लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. लैंडिंग तक अपना सफर अकेले तय करेगा. दोपहर करीब 1 बजे प्रोपल्शन मॉड्यूल की मदद से विक्रम लैंडर रोवर के साथ चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचेगा. जिसके बाद आगे का सफर लैंडर विक्रम अपने आप ही तय करेगा. इस खुखबरी के बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोग चंद्रयान-3 Chandrayaan-3 के बारे में बेहद चौंकाने वाले दावे कर रहे हैं. कुछ का कहना है ‘चंद्रयान-3’ Chandrayaan-3 ने चंद्रमा पर ऑक्सीजन का भंडार खोज लिया है. साथ ही, ये भी बताया गया है कि ‘चंद्रयान-3’ ने ऐसा करके विश्व रिकॉर्ड कायम कर दिया है. जो ऑक्सीजन मिला है वो ऑक्सीजन शुद्ध ऑक्सीजन है. इसमें किसी और गैस का मिश्रण नहीं है. पूरी तरह से प्योर है.” और जिस मात्रा में ये ऑक्सीजन पाया गया है. वो लाखों सालों तक इंसानों को वहां ज़िंदा रख सकता है.

Chandrayaan-3 को लेकर हुए दावे झूठ या सच ?

ख़बरें तो धमाके दार हैं लेकिन ये ख़बरें सरासर झूठ है. जब इन दावों का फैक्ट चेक किया तो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनिस्टिव ने ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं की है. तो साफ़ है कि ये खबर सच नहीं बल्कि कुछ शरारती तत्वों की शरारत है.

‘नासा’ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, चांद पर मौजूद चट्टानों और मिट्टी में धातुओं व गैर-धातुओं ( नॉन मेटल्स ) के साथ करीब 45 प्रतिशत ऑक्सीजन है. लेकिन वहां ऑक्सीजन गैस के रूप में मौजूद नहीं है. अब दुनिया भर के वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह चांद की चट्टानों में मौजूद ऑक्सीजन को बड़े स्तर पर गैस के रूप में बदला जा सके. अगर ये संभव हो पाया तो इस ऑक्सीजन की मदद से स्पेसक्राफ्ट्स के ईंधन का इंतजाम हो जाएगा. साथ ही, वहां जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के सांस लेने के लिए भी ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाएगी.

चंद्रमा के वायुमंडल को एग्जॉस्फियर (exosphere) कहते हैं और इसमें इंसान सांस नहीं ले सकते. ‘यूरोपियन स्पेस एजेंसी’ के मुताबिक इसमें हीलियम, आर्गन, सोडियम व पोटैशियम जैसी हानिकारक गैसेस मौजूद है.

एक दावा था चंद्रयान-3 ने चांद पर इतनी मात्रा में ऑक्सीजन का पता लगाया है कि एक लाख साल तक आठ अरब लोग आसानी से ऑक्सीजन ले सकते हैं. ये दावा सच तो है लेकिन जानकारी पूरी नहीं है.

दरअसल साल 2021 में ‘द कॉन्वरसेशन’ नाम की वेबसाइट में ‘साउदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी’ के मिट्टी वैज्ञानिक जॉन ग्रांट के हवाले से एक रिपोर्ट छपी थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि चंद्रमा में औसतन कितनी ऑक्सीजन है. उन्होंने बताया कि अगर अगर चंद्रमा की ऊपरी सतह से ऑक्सीजन निकाली जाए तो हमारे पास इतना ऑक्सीजन होगा कि 800 करोड़ यानी आठ अरब लोग एक लाख साल तक सांस ले सकते हैं. उस वक्त ‘द वीक’ और ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ जैसी तमाम वेबसाइट्स ने खबरें छापी थीं. जाहिर है, ये निष्कर्ष साल 2021 में निकाला गया था और चंद्रयान-3 से इसका कुछ लेना-देना नहीं है.

तो ये तो था झूठ और सच के बीच का फैसला अब चंद्रयान 3 के चाँद पर उतरने के सफर की बात करें तो चांद से न्यूनतम दूरी जब 30 किलोमीटर रह जाएगी तब लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने की यात्रा शुरू करेगा और ये 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 पर लैंड होगा. हालांकि सॉफ्ट लैंडिंग की इस प्रक्रिया में अभी कई चुनौतियां हैं.

Chandrayaan-3 का क्या है मकसद

दरअसल, चंद्रयान-3 के जरिए भारत चांद की स्‍टडी करना चाहता है. वो चांद से जुड़े तमाम रहस्‍यों से पर्दा हटाएगा. चंद्रयान 3 चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा. वह वहां के वातावरण, खनिज, मिट्टी वगैरह जुड़ी तमाम जानकारियों को जुटाएगा. 2008 में जब इसरो ने भारत का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, तब इसने चंद्रमा की परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के मोलेक्युल्स की खोज की थी. अब देखना ये है कि इस बार का चंद्रयान चाँद से क्या नया लेकर आता है.

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