नई दिल्ली : संसद के मनसून सत्र के आखिरी दिन आज सरकार ने लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय दंड प्रक्रिया (CRPC ) में बदलाव के लिए संशोधन के लिए बड़े प्रस्ताव पेश किये हैं. इन संशोधनों के माध्यम से राजद्रोह (Sedition) का कानून खत्म किया जायेगा . राजद्रोह (Sedition) कानून की जगह धारा 150 के तहत आरोप तय किये जायेंगे. भारतीय कानून की धारा 150 के तहत भारत की संप्रभुता , अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्य को रखा गया है .
Sedition कानून खत्म करने के लिए लोकसभा में संशोधन प्रस्ताव
गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता में सुधार के लिए आज लोकसभा में तीन प्रस्ताव पेश किये. संशोधन पेश करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि ये कानून भारत में अंग्रेजों के शासनकाल की याद दिलाते हैं. अंग्रेजों का उद्देश्य भारतीयों को दंडित करना था जबकि कानून का उद्देश्य न्याय दिलाना होना चाहिये . भारत सरकार कानून में बदलाव करके लोगों में न्याय को सुनिश्चित करेगी.
संसदीय पैनल के पास मंजूरी के लिए भेजे गये प्रस्ताव
गृहमंत्री अमित शाह ने सदन को बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को संसदीय पैनल के पास भेज दिया गया है. संसदीय पैनल की मंजूरी के बाद नये कानून को देश में लागू कर दिया जायेगा. गृहमंत्री अमित शाह ने बिल पर बात करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि देश को अंग्रेजों के कानूनों से मुक्त किया जायेगा. आज उसी प्रण को पूरा किया है.
नये कानून में क्या होंगे बदलाव ?
नये कानून में कुल 313 बदलाव किये गये हैं. जिन अपराधों में 7 साल तक की सजा का प्रावधान होगा वहां फॉरेंसिक टीम साक्ष्य जुटायेगी.
राजद्रोह की सजा में बदलाव किया गया है. पहले तो राजद्रोह शब्द को हटा दिया गया है .फिर धारा 150 के तहत प्रावधान बरकार रखे गये हैं. इस कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा उल्लंघन का दोषी पाये जाने पर 3 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. धारा 150 के तहत जो बदलाव किये गये उसके मुताबिक राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल की सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास या 7 साल की सजा कर दी गई है.
इस धारा में इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों द्वारा वित्तीय साधनों को जोड़ा गया है.
सरकार के प्रति असंतोष भड़काने या भड़काने का प्रयास की जगह उकसावा या उकसाने का प्रयास, सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक कार्रवाई को भड़काने या उसे प्रोत्साहित करने, राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालने का जिक्र है. इसके लिए सजा को बढ़ाकर आजीवन कारावास या 7 साल तक की सजा रखी गई है.
इस कानून के तहत अगर किसी की गिरफ्तारी की जाती है तो उसके परिवार को तुरंत सूचना दी जायेगी. इसके लिए अलग से एक पुलिस अफसर को नियुक्त किया जायेगा.
2027 से पहले देश की सभी अदालतों को पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड कर दिया जायेगा. ताकि यहां होने वाले महत्वपूर्ण मामलों की पूरी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हो सके.
3 साल तक की सजा वाले मामलों में समरी ट्रायल होगा. चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज होता है तो 120 दिन के अंदर उसका केस चलाने की मंजूरी देना अनिवार्य होगा.
आर्गेनाइज्ड क्राइम के मामले में सजा को और कठोर किया गया है. मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है लेकिन उसे पूरी तरह से खत्म करना आसान नहीं होगा.
राजद्रोह को खत्म किया जा रहा है . संपत्ति कुर्क करने के मामले मे आदेश कोर्ट का मान्य होगा न कि पुलिस का. तीन साल के अंदर फैसला आना अनिवार्य होगा.