Monday, December 23, 2024

सांप का जहर उतारने के लिए सदर अस्पताल परिसर में चला झाड़-फूंक

आरा: बिहार की आरा में एक हैरान करने वाली वीडियो सामनें आई है. सर्पदंश के बाद एक मरीज को सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए लाया गया. इसके बावजूद उसके परिजन उसकी डॉक्टर से इलाज कराने की जगह एक महिला ओझा से झाड़ फूंक कराने के लिए अस्पताल में महिला ओझा लेकर पहुंच गए. झाड़-फूंक करने वाले ओझा को रोकने के बजाय अस्पताल के कर्मचारी और सुरक्षा गार्ड मूकदर्शक बने रहें. आरा सदर अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड के गेट के पास करीब 20 मिनट तक परिजन झाड़दृफूंक कराते रहें. महिला ओझा के द्वारा पहले इमरजेंसी गेट के बाहर अधेड़ को अर्धनग्न अवस्था में जमीन पर बैठाया गया. उसके बाद एक पीतल की थाली को पीड़ित की पीठ पर सटाया गया. जिसके बाद महिला ओझा ने मिट्टी के कुछ ढेलो से मंत्र उच्चारण के साथ थाली पर लगातार फेकती रही.

मिली जानकारी के अनुसार भोजपुर जिले के उदवंतनगर थाना क्षेत्र के रघुनी पुर गांव निवासी स्वर्गीय इंद्रदेव सिंह के 52 वर्षीय पुत्र बिटेश्वर सिंह को सोमवार की देर शाम सांप ने डस लिया था. सांप के डसते ही बिटेश्वर सिंह ने पहले सांप को मार डाला.  सांप के डसने की जानकारी पर परिजनों ने तत्काल अधेड़ को आनन-फानन में आरा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. डॉक्टर ने तत्काल इलाज शुरू कर दिया, अभी इलाज चल ही रहा था कि परिजन एक ओझा को भी बुलाकर लाए. जिसके बाद महिला ने इमरजेंसी के गेट पर झाड़-फूंक करना शुरू कर दिया.

वही सर्पदंश के पीड़ित बिटेश्वर सिंह ने बताया की वह अपने घर से दूध लेकर सरकारी बंगला के पास डायरी में दूध देने के लिए जा रहे थे. तभी अंधेरा होने के कारण सांप पर ही पैर रखा गया. पैर रखते ही सपने मेरे पैर की उंगली में डस लिया, किसी भी तरीके से सांप को अपने पैर से अलग किया. उसे हम मार दिए, इसके बाद इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल आए. डॉक्टर ने इलाज किया और कहा कि 4 से 5 घंटा अब अस्पताल में रहकर स्थिति को देख लीजिए. उसके बाद महिला ओझा से अपने मन की शांति के लिए झाड़दृफूंक करा लिए.

वही इलाज कर रही महिला ओझा मनोरमा देवी ने बताया कि वह बचपन से ही अपने पिता से सीखकर झाड़-फूंक करने का काम कर लेती है। उन्होंने बताया कि सांप के डसते ही मुझे समझ में आ जाता है कि इंसान को कितना विष चढ़ा है। झाड़-फूंक करने से विष का असर कम हो जाता है। अगर सांप ज्यादा काटती है तो वह मान में नहीं रहती, उसके बाद उन्हें दूसरे जगह इलाज कराना पड़ता है। पीतल की थाली को मंत्र से बांध दिया जाता है, सांप जिसको काटता है उसके पीठ पर ही थाली सट जाता है .

वही सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ऑन ड्यूटी चिकित्सक डॉक्टर शैलेंद्र ने बताया कि एक बिटेश्वर नाम के व्यक्ति को सांप के डसने के बाद उन्हें इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल लाया गया था, जहां उनका प्राथमिक इलाज कर दिया गया है. उसमें ऐसा कोई सिनटम दिखाई नहीं दे रहा है, इससे यह प्रतीत हो उन्हें एक विषैले सांप ने डस लिया. उनकी स्थिति सामान्य है और उनको वेट एंड वॉच में रखा गया है. सदर अस्पताल के बाहर कोई भी मरीज या परिजन झाड़दृफूंक कराए उसकी जवाब देह सदर अस्पताल नहीं है. लेकिन उनका डॉक्टरों के द्वारा इलाज कर दिया गया है.

आज कहने को भले ही हम चांद पर पहुंच गए हो, लेकिन ग्रामीण इलाके अभी भी दकियानूसी के भ्रम जाल में फंसा हुआ है. एक तरफ जहां विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है. नई तकनीक से इलाज किया जा रहा है. वहीं, आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अंधविश्वास पर पूरा भरोसा करते हैं. ये मामला बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के प्रभार वाले जिले से सामने आया.

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