श्रीहरिकोटा (सतीश धवन सेंटर) भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान (CHANDRYAAN 3 )के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगा दी है. सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो अगले डेढ़ महीने में भारत दुनिया के उन चंद देशों में एक होगा जिसने चांद पर पहुंचने का मिशन पूरा किया है.(CHANDRYAAN 3)
#WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches #Chandrayaan-3 Moon mission from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota.
Chandrayaan-3 is equipped with a lander, a rover and a propulsion module. pic.twitter.com/KwqzTLglnK
— ANI (@ANI) July 14, 2023
अब तक यहां पहुंचने वाल देशों में अमेरिका, रुस और चीन हैं. आपको बता दें कि चंद्रयान-3 के साथ विक्रम लैंडर प्रज्ञान को छोड़ा जा रहा है, जो चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग करेगा.
भारत का मिशन मून -3 चंद्रयान क्या करेगा?
भारत का मिशन मून 3 अपने उस अभियान को पूरा करन के मकसद से निकला है जिसे चंद्रयान 2 पूरा नहीं कर पाया था. चंद्रयान-3 का मकसद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना है.ये वो जगह है जहां अब तक कोई नहीं पहुंच पाया है. अगर सब ठीक रहा और चंद्रायन 3 का विक्रम लैंडर दक्षिणी पोल पर सही सलामत उतर गया तो भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाल पहला देश होगा. बता दें कि चंद्रामा का ये हिस्सा अंतरिक्ष विज्ञान गतिविधियों के लिए काफी कठिन है क्योंकि यहां उतरने के लिए सूरज की रौशनी जरुरी है.
चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में लैंडिंग क्यों है कठिन?
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक विक्रम लैंडर को लैंड करने और वहां रुकने के लिए जरुरी है कि सूरज की रौशनी मौजूद हो लेकिन ये पृथ्वी के वातावरण के हिसाब से समय काफी कम होता है.यहां प्राकृतिक रुप से सूरज की रौशनी केवल 15 दिन ही रहती है. चंद्रमा का पंद्रह दिन भारत के 24 घंटे से भी कम होता है. ऐसे में चंद्रयान 3 के लिए एक निश्चित समय पर यहां लैंड करना बेहद जरुरी है. इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबित चंद्रयान-3 की लैंडिंग 23-24 अगस्त को कराने कोशिश होगी
ये भी पढ़े :-
चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 का मकसद भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है. दक्षिणी ध्रुव, वो जगह जहां आजतक कोई नहीं पहुंच सका. अगर चंद्रयान-3 का ‘विक्रम’ लैंडर वहां सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है, तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा