केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से संबंधित कानूनों से निपटने के लिए मंत्रियों का एक “अनौपचारिक” समूह (जीओएम) बनाया है. गुरुवार को कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि GoM का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू करेंगे. जबकि महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्वोत्तर के प्रभारी मंत्री जी किशन रेड्डी इसके सदस्य हैं.
केंद्र द्वारा 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के आगामी मानसून सत्र में यूसीसी पेश करने की संभावना है.
चारों मंत्रियों को दी गई अलग-अलग मुद्दों की जिम्मेदारी
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, इन चारों मंत्रियों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. किरेन रिजिजू आदिवासियों से जुड़े मुद्दे उठा सकते हैं. स्मृति ईरानी महिलाओं के अधिकारों से जुड़े मुद्दों को देख सकती हैं, जबकि अर्जुन राम मेघवाल यूसीसी के कानूनी पहलुओं को देख सकते हैं. जी किशन रेड्डी के पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की संभावना है.
क्या है UCC?
यूसीसी उन कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होते हैं जो धर्म पर आधारित नहीं हैं और विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य मामलों से संबंधित हैं.
22वें विधि आयोग ने 14 जून को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार मांगकर यूसीसी पर एक नई परामर्श प्रक्रिया शुरू की थी.
भोपाल में पीएम ने की थी यूसीसी की वकालत
पिछले हफ्ते भोपाल में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है. पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है.
जमीयत ने जताई यूसीसी पर आपत्ति
इस बीच, विधि आयोग को लिखे अपने पत्र में जमीयत ने दावा किया कि यूसीसी पर जोर देना संविधान में दिए गए मूल अधिकारों के विपरीत है और सवाल मुसलमानों के पर्सनल लॉ का नहीं, बल्कि देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान को अक्षुण्ण रखने का है.
जमीयत ने कहा,”हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत पर आधारित है जिसमें पुनरुत्थान के दिन तक संशोधन नहीं किया जा सकता है, ऐसा कहकर हम किसी असंवैधानिक बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्ष संविधान के अनुच्छेद 25 ने हमें यह स्वतंत्रता दी है. समान नागरिक संहिता अस्वीकार्य है.”
जमीयत ने जोर देकर कहा कि “वह यूसीसी का विरोध करता है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में नागरिकों को दी गई “धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों के पूरी तरह से खिलाफ” है.