केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र से पहले 19 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 20 अगस्त तक चलेगा.
इस सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद है क्योंकि विपक्षी दल अगले साल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एकजुट मोर्चा बना सत्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे.
इसके अलावा संसद के मानसून सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी हंगामा होने की संभावना खासकर तब जब हाल में प्रधान मंत्री मोदी ने समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत की है.
सत्र का एक हिस्सा नई संसद में होने की संभावना
सूत्रों के मुताबिक मानसून सत्र पुराने संसद भवन में शुरू होने और बाद में इसके नए भवन में स्थानांतरित होने की उम्मीद है. नई इमारत का उद्घाटन 28 मई को मोदी ने किया था. संसद का मानसून सत्र 23 दिनों तक चलेगा और इसमें 17 बैठकें होंगी.
कौन-कौन से विधेयक लाए जा सकते है सत्र में
मानसून सत्र में यूसीसी के साथ ही केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक ला सकती है. इसके अलावा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक आने की भी उम्मीद है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक
हलांकि यूनिफॉर्म सिविल कोड को विधेयक के रुप में पेश किए जाने की चर्चा तो बहुत है लेकिन क्योंकि इसका मसौदा अभी तक तैयार नहीं हुआ है इसलिए इसकी संभावना कम ही लगती है. वैसे चर्चा ये भी है कि उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड का जो मसौदा है उसे ही केंद्र यूसीसी विधेयक के रुप में इस्तेमाल कर सकता है. ख़बर ये भी है कि ये विधेयक 5 अगस्त को पेश किया जा सकता है.
दिल्ली अध्यादेश को दिया जा सकता हे विधेयक का रुप
मानसून सत्र में केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक ला सकती है.
अध्यादेश ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को प्रभावी ढंग से रद्द कर दिया, जिसने दिल्ली सरकार को “सेवाओं” मामले पर अधिक विधायी और प्रशासनिक नियंत्रण दिया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आदेश में दिल्ली में नौकरशाहों के स्थानांतरण का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने के बाद केंद्र का अध्यादेश लाया गया था. आदेश में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि पर नियंत्रण को बाहर रखा गया.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इस अध्यादेश को राज्यसभा में हराने की भरसक कोशिश कर रहे है. इसके लिए उन्होंने विपक्षी नेताओं से भी मुलाकात की थी.
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक
केंद्र ने बुधवार को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी, जिससे प्रभावी रूप से भारत के पहले गोपनीयता कानून का मार्ग प्रशस्त हो गया. प्रस्तावित कानून संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना है.
प्रस्तावित कानून व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने से पहले सहमति निर्धारित करता है और व्यक्तिगत डेटा को आकस्मिक प्रकटीकरण, साझा करने, बदलने या नष्ट करने सहित डेटा उल्लंघनों को रोकने में विफल रहने वाले व्यक्तियों और कंपनियों पर ₹500 करोड़ तक के कठोर दंड का प्रावधान करता है.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) विधेयक 2023 के मसौदे को मंजूरी दे दी थी.
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