पप्पु, मंदबुद्धी, शहजादा, भ्रष्ट, देश द्रोही….2014 से लेकर 2024 के बीच राहुल गांधी को लेकर बीजेपी ने कई नैरेटिव बनाए लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो बीजेपी की ये सोच कि अगर राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी के सामने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश करेंगे तो जीत पक्का नरेंद्र मोदी की ही होगी. इसलिए अमित शाह देश भर में घूम-घूम कर 2024 लोकसभा चुनाव के नैरेटिव में मोदी बनाम राहुल का एजेंड़ा सेट कर रहे हैं.
2024 को मोदी बनाम राहुल बनाना चाहते है अमित शाह
शुक्रवार यानी तीस जून को राजस्थान के उदयपुर में शाह ने एक जनसभा में कहा, “अभी विपक्ष के सभी नेता पटना में एकत्रित हुए. 21 पार्टी के लोग थे. 21 लाख करोड़ के घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार करने वाले लोग इकट्ठे हुए थे…21 पार्टियां इकट्ठा होकर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने निकली हैं. राहुल बाबा अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो ये घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार भारत की नियति बन जाएंगी. मोदी जी फिर से प्रधानमंत्री बनते हैं तो ये भ्रष्टाचार करने वाले जेल की सलाखों के पीछे जाएंगे,”
वहीं 22 जून को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनता से सीधा सवाल पूछा था, उन्होंने वहां जनसभा में भीड़ की तरफ इशारा करते हुए पूछा कि ‘राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी में से 2024 में कौन प्रधानमंत्री बनेगा.’ इसके जवाब में भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाए.
अभी हाल ही में बिहार के लखीसराय की रैली में गृह मंत्री अमित शाह ने भीड़ से पूछा कि कांग्रेस पिछले 20 साल से राहुल को पीएम के तौर पार लॉन्च करने की कोशिश कर रही है लेकिन सफल नहीं हो पाई. आपको कौन सा पीएम चाहिए 20 साल से लॉन्चिंग की कोशिश करने वाला या काम करने वाला नरेंद्र मोदी.
राहुल गांधी की खराब छवि पर बीजेपी को है भरोसा
यानी जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है बीजेपी राहुल को ही नरेंद्र मोदी के मुकाबले खड़ा करती हुई नजर आ रही है. बीजेपी का कोई नेता कभी भी नीतीश , शरद पवार, ममता बनर्जी या स्टालिन का नाम पीएम पद के लेता नजर नहीं आता है. बीजेपी को पता है कि नरेंद्र मोदी के सामने राहुल को रखेंगे तभी नरेंद्र मोदी जीत पाएंगे क्योंकि राहुल की इमेज खराब करने में उन्होंने सालों तक मेहनत की है.
कर्नाटक में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हार, मध्य प्रदेश में व्यापम से लेकर महाकाल तक के भ्रष्टाचार को लेकर उठ रहे सवालों के बीच भी गृहमंत्री प्रधानमंत्री को बेदाग बताना नहीं भूलते हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी संसद सदस्यता जाने का कारण ही ये बताते हैं कि उन्होंने जब संसद में मोदी से अदानी को लेकर सवाल पूछा तो उनकी सदस्यता चली गई. इसके अलावा 20 हजार करोड़ रुपये किसके हैं. राहुल के इस सवाल से बीजेपी इतना परेशान हो गई कि वो भी विपक्ष पर 21 लाख करोड़ के घपले का आरोप लगाने लगी. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के बाद बदलती राहुल गांधी की छवि और विपक्षी दलों में उनको लेकर बढ़ रहे विश्वास के बीच अमित शाह का मोदी बनाम राहुल का नैरेटिव सेट करने का क्या मतलब है. क्या 2014 और 2019 की तरह ही बीजेपी को लगता है कि नरेंद्र मोदी के सामने न कोई था..न है..न होगा.
क्या 2014 से 2024 तक राहुल गांधी में नहीं आया है बदलाव
हलांकि हाल में कर्नाटक चुनाव के बाद आरएसएस से जुड़ी साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गनाइजर में छपे एक लेख में बीजेपी को सलाह देते हुए कहा गया था कि, ‘सिर्फ मोदी मैजिक और हिंदुत्व 2024 लोकसभा चुनाव जीतने के लिए काफी नहीं हैं.’ ऐसे में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, उसके बाद ब्रिटेन और अमेरिका का सफल दौरा, उनका लगातार आम लोगों से मिलना, मणिपुर जाना. मणिपुर में परेशान जनता का उनसे मिलने के लिए प्रदर्शन करना क्या बीजेपी के लिए इसके कोई मायने नहीं हैं. सवाल ये भी है कि क्या ममता, नीतीश, स्टालिन, अखिलेश के मुकाबले बीजेपी राहुल गांधी को कमज़ोर नेता समझती है. या फिर राहुल का नाम उछाल कर वो विपक्षी एकता में फूट डालने की कोशिश में है.
क्या 2014 के राहुल को 2024 का राहुल समझ गलती कर रही है बीजेपी
इन सब सवालों के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी 2024 में अपने काम से ज्यादा राहुल गांधी के नाम पर भरोसा कर रही है. उसे ऐसा क्यों लगता है कि 10 साल बाद भी लोग कांग्रेस के भ्रष्टाचार को याद रखेंगे लेकिन उसके नीरव मोदी , मेहुल चौकसी और अडानी कांड को भूल जाएंगे. जिस तरह हाल के दिनों में पीएम भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की बात कर रहे हैं. कह रहे हैं कि कोई भी भ्रष्टाचारी नहीं बचेगा. तो ऐसे में जनता उनसे ये सवाल तो पूछेगी कि 9 साल तक आपने इनको जेल क्यों नहीं भेजा.
अमित शाह का कॉन्फिडेंस है या ओवरकॉन्फिडेंस?
इन सब हालातों और सवालों के बीच क्या बीजेपी का राहुल गांधी को मोदी के सामने खड़ा करने का फैसला गलत तो नहीं साबित हो जाएगा. क्या बीजेपी 2014 के राहुल और 2024 के राहुल में फर्क नहीं करके कोई गलती तो नहीं कर रही है. या बीजेपी को पक्का भरोसा है कि अगले एक साल में राहुल गांधी कुछ न कुछ ऐसा कर देंगे कि वो फिर पप्पू साबित हो जाएंगे.