पटना:कई लोगों को अपना धर्म और संस्कृति कितनी प्यारी है इस खबर से आप समझ जायेंगे. दरअसल अमेरिका से लौटीं काजल कर्ण विदेश में रहने के बावजूद अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ी रहीं. इसका उदाहरण उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता को मैथिली Maithili में अनुवाद कर पेश किया. काजल ने बताया कि भागवत गीता को Maithili में अनुवाद करने में लगभग 1 साल का समय लगा. ये पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
Maithili संस्कृति को भूल नहीं पायी
काजल का कहना है मातृभाषा मैथिली Maithili और अपनी संस्कृति से लगाव है. इसलिए अमेरिका में बस जाने के बावजूद वो अपनी मैथिली Maithili संस्कृति को भूल नहीं पायी.काजल कर्ण अमेरिका में रहते हुए मैथिली में श्रीमद्भागवत गीता की अनुवाद पुस्तक तैयार की . यह पुस्तक वहां रहने वाले मिथिलांचल के लोगों में खूब पढ़ी और सराही जा रही है.
संस्कृत से Maithili में गीता का अनुवाद
काजल कर्ण जनकपुर की रहने वाली हैं और पटना में उनका ननिहाल है. आइटी के क्षेत्र में पढ़ाई के बाद वह यूएसए में जाकर बस गई और अपनी आईटी कंपनी खोल ली. काजल ने कहा श्रीमद्भागवत गीता कई भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है. फिर यह ख्याल आया कि मैथिली में भी यह होनी चाहिए. भागवत गीता को अनुवाद और लिखने में लगभग 1 साल लग गए .भागवत गीता को संस्कृत भाषा से मैथिली भाषा में लिखा गया है.इसके पहले भागवत गीता 15 भाषाओं में लिखा हुआ था जो की अब 16 भाषा हो गई है.
अमेजन पर उपलब्ध है किताब
मैथिली में श्रीमद्भगवत गीता पहली बार आई है. मैथिली ‘श्रीमद्भागवत गीता’ आम लोगों के लिए अमेजन पर उपलब्ध है. इस पुस्तक को अमेजन पर साढ़े चार रेटिंग मिली है.काजल अमेरिका में अपने पति के साथ ‘मैथिली दिवा’ के नाम से एक संस्था चलाती हैं. मैथिली में गीता का अनुवाद काफी सराहा जा रहा है. खासकर बिहार के मिथिलांचल में इसकी धूम है.