Friday, November 22, 2024

जाकिया जाफरी समेत 2002 गुजरात दंगे की सभी फाइलें बंद,सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

गोधरा में साल 2002 में हुए  दंगो से सबंधित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने का आदेश दिया.सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल बाद इस मामले में  फैसला लिया है.

उच्चतम न्यायालय ने बीस साल पुराने मामलों से जुडी याचिकाओं का किया निष्पादन करते हुए कहा है कि अब इन मामलों पर सुनवाई की कोई जरुरत नहीं है.इसके साथ ही गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी की ओर से क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को देश के शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया है.

इन मामलों की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ,न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने की. तीन सदस्यीय पीठ का साफ मानना था कि अब इन याचिकाओं में निर्णय के लिए कुछ नहीं बचा है. पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाएं अप्रसांगिक हो गयी है.
यू यू ललित की खंडपीठ ने अनेक याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलों पर विचार किया और कहा कि अब इन याचिकाओं में निर्णय के लिए कुछ नहीं बचा है. इस मामले में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सीजेपी की ओर से अपर्णा भट्ट समेत अनेक याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलीलें दी. पीठ ने इन दलीलों पर विचार किया और कहा कि अब इन याचिकाओं में निर्णय के लिए कुछ नहीं बचा है.

मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने विशेष जांच दल की इस दलील पर संज्ञान लिया कि उसने जिन 9 मामलों की जांच की थी, एसआईटी के वकील मुकुल रोहतगी ने जजों को बताया कि सिर्फ नरोडा गांव से जुड़े मामले में निचली अदालत का फैसला आना बाकी है. याचिकाकर्ता पक्ष के वकीलों अपर्णा भट्ट, एजाज मक़बूल और अमित शर्मा ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अब पुरानी याचिकाओं को लंबित रखने की जरूरत नहीं है.
जिन याचिकाओं का निपटारा किया गया है. इनमें सबसे प्रमुख थी 2003 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की तरफ से दाखिल याचिका. इसके अलावा सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस, फरजाना बानू, इमरान मोहम्मद, यूसुफ खान पठान, फादर सेड्रिक प्रकाश और उमेद सिंह गुलिया जैसे याचिकाकर्ताओं की भी याचिका पर सुनवाई आज औपचारिक रूप से बंद कर दी गई.
इन याचिकाओँ में दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की भी याचिका शामिल है. कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इन घटनाओं के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में 1044 लोग मारे गए थे.
उच्चतम अदालत ने कहा कि इस मामले में आपराधिक साजिश रचने जैसा कोई संदेह पैदा नहीं होता है। इसके साथ ही अदालत ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी की ओर से क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी.

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