सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरु होने के चंद मिनटों बाद उसे स्थगित करनी पड़ी. संसद में विपक्षी सांसदों ने अडानी समूह के घोटाले पर जेपीसी की मांग और राहुल गांधी की अयोग्यता को लेकर नारेबाजी की, जिसके बाद राज्यसभा को दोपहर 2 बजे तक और लोकसभा को शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
कांग्रेस-बीजेपी नेताओं ने बयानों से किया एक दूसरे पर वार
वहीं रोज़ की तरह बीजेपी और कांग्रेस के बीच ज़बानी जंग भी जारी है. कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभालते हुए कहा कि, लोकतंत्र की आवाज़ को बंद करने की साजिश चल रही है. इस लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत सदन है. आप लोकसभा से विपक्ष की आवाज़ को बंद करा रहे हैं. विपक्ष अगर घोटाले की बात न करें तो क्या करे? आपकी बातों में हामी भरे? आप राजतंत्र चाहते हैं. आज वह डरे हुए हैं.
वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने राहुल गांधी का संसद सदस्यता रद्द करने के मुद्दे को अडानी से जोड़ते हुए कहा कि, आज यह बात हर जगह पहुंच गई है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी की सदस्यता इसलिए खत्म की है जिससे वह अपने करीबी दोस्त अडानी को बचा सकें. हमारे दल के लोग धरना कर रहे हैं. राहुल गांधी पर आरोप लगाए गए लेकिन उनको एक बार भी (सदन में) बोलने नहीं दिया गया.
बीजेपी ने भी दिया कांग्रेस के आरोपों का जवाब
रविवार को संकल्प सत्याग्रह में परिवारवाद को लेकर दिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के सवाल क्या भगवान राम और पांडव परिवारवादी थे का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, कहां भगवान राम और कहां ये(कांग्रेस) लोग, इससे पहले इन्होंने कहा था कि मैं सावरकर नहीं हूं मैं माफी नहीं मांगूँगा. क्या इन्हें वीर सावरकर जैसे लोगों का योगदान पता है?
वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, 2019 में ‘मोदी’ नाम को किसने गाली दी? इसका मतलब इस देश में बोलने की स्वतंत्रता है लेकिन गाली देने की नहीं. कांग्रेस को बोलने की स्वतंत्रता और गाली देने की स्वतंत्रता में फर्क करना चाहिए. वह इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए बल्कि क़ानूनी के चश्मे से देखना चाहिए.
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