कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में बोलने का वक्त मांगते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है. राहुल गांधी ने लिखा है कि चार वरिष्ठ मंत्रियों ने मेरे खिलाफ निराधार और अनुचित आरोप लगाए है. इसलिए मुझे भी सदन में अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए.
18 मार्च को लिखे अपने पत्र में राहुल ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि संसद किसी भी अन्य संस्था की तरह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में निहित प्राकृतिक न्याय के नियमों से बंधी है.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, “वे प्रशासनिक मनमानी के खिलाफ एक गारंटी हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को एक ऐसे मामले में सुनवाई का अधिकार है, जिससे वे संबंधित हैं. निश्चित रूप से, आप इस बात से सहमत होंगे कि सभी संस्थानों की तरह संसद इस अधिकार का सम्मान करने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती.”
रविशंकर प्रसाद का दिया उदाहरण
अपने पत्र में राहुल गांधी ने नियम 357 का हवाला दिया. उन्होंने पत्र में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद रविशंकर प्रसाद का उदाहरण देते हुए कहा है कि,”प्रसाद ने भी बतौर मंत्री संसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से की गई टिप्पणी का जवाब देने के लिए इस नियम का हवाला दिया था.”
इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा, “लोकसभा डिजिटल लाइब्रेरी पर कई उदाहरण उपलब्ध हैं, जो बताते हैं कि यह अधिकार संसद के भीतर दिए गए बयानों का जवाब देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सार्वजनिक डोमेन में लगाए गए आरोपों तक भी है.”
राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘‘मैं आपसे फिर ऐसा ही आग्रह कर रहा हूं. मैं संसद की परिपाटी, संविधान में निहित नैसर्गिक न्याय, नियम 357 के तहत आपसे अनुमति मांग रहा हूं.’’
लोकसभा अध्यक्ष से कर चुके है राहुल मुलाकात
आपको बता दें ब्रिटेन दौरे से लौटे राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर संसद में अपनी बात रखने का समय मांगा था.
वहीं बीजेपी कांग्रेस सांसद के विदेशी धरती पर तथाकथित भारत का अपमान करने को मुद्दा बना उनके माफी मांगने की मांग पर अड़ी हुई है.
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