रिलीज होने के कुछ ही दिनों के भीतर, अनुभव सिन्हा की आने वाली फिल्म ‘भीड़’ का ट्रेलर रहस्यमय तरीके से यूट्यूब से गायब हो गया. कई दर्शकों ने गुरुवार को देखा कि ट्रेलर YouTube से गायब था, और कुछ ने पाया कि प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों व्यूज प्राप्त करने के बाद लिंक को छिपा दिया गया था. आपको बता दें भीड़ कोरोना काल के पहले लॉक डाउन पर बनी फिल्म है. इसमें अचानक किए गए लॉकडाउन से लोगों को हुई परेशानी खासकर प्रवासी मज़दूरों के दर्द को दिखाया गया है. जिसके चलते इसके साथ विवाद जुड़ना तो लाज़मी ही था. और अब यूट्यूब से इसका हटाया जाना इस विवाद को और हवा देगा.
लॉकडाउन के दौरान हुई ज्यादतियों को दिखाती फिल्म “भीड़” के ट्रेलर को यूट्यूब से हटाना मोदी सरकार की कायराना हरकत है। क्या अब मान लिया जाए कि देश में अघोषित आपातकाल लागू हैं?#लॉकडाउन_याद_रखा_जाएगा pic.twitter.com/sXIXwq1di6
— Er Sugna Meena (@Sugna_Tribal1) March 21, 2023
भीड ट्रेलर YouTube से हटा दिया गया?
ट्रेलर को फिल्म की निर्माण कंपनी, बनारस मीडिया द्वारा साझा किया गया था, और कई ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने उस URL का उल्लेख करते हुए दावा किया कि वीडियो को हटा दिया गया लगता है. एक ट्वीट में लिखा था, “फिल्म ‘भीड़’ का आधिकारिक ट्रेलर अब प्रतिक्रिया के बाद यूट्यूब पर निजी है. यह फिल्म कोविड लॉकडाउन के कुप्रबंधन और गरीब प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के बारे में है, जिन्हें घर वापस जाने के लिए मजबूर किया गया था. क्या यही लोकतंत्र है?” वीडियो को निजी बना दिया गया है, लेकिन निर्माताओं ने इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया.
भीड़ फिल्म 2020 में कोविड-19 महामारी के बाद शुरुआती लॉकडाउन पर केंद्रित है और उन्होंने आम जनता को कैसे प्रभावित किया, जिससे प्रवासी संकट और प्रबंधन की कमी जैसी समस्याएं सामने आईं. कई लोगों ने उस भयानक समय के वास्तविक और कठोर चित्रण के लिए ट्रेलर की सराहना कर रहे है. तो कुछ इसे “एजेंडा” फिल्म और “अनावश्यक रूप से कठोर फिल्म बता रहे है.
ट्रेलर में नहीं है भूषण कुमार का नाम
आपको याद दिला दें कि फिल्म भीड़ को लेकर पहले भी विवाद हुआ था. ट्रेलर के रीलीज़ के साथ ही ये बात भी सामने आई थी कि निर्माता भूषण कुमार ने खुद को इस फिल्म से अलग कर लिया है. ट्रेलर को टी-सीरीज़ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पोस्ट तो किया था लेकिन ट्रेलर में भूषण कुमार या उनके स्टूडियो का कोई उल्लेख नहीं था.
दमदार डायलॉग और सीन के साथ ट्रेलर आपको मार्च 2020 में ले जाएगा
“न्याय हमेशा शक्तिशाली के हाथ में होता है. यदि शक्तिहीन ने न्याय दिया होता, तो न्याय अलग होता,” ट्रेलर राजकुमार राव के इसी डायलॉग से शुरु होता है. राज कुमार राव इस फिल्म में पुलिस वाले का किरदार निभा रहे हैं. उनके इस डायलॉग के साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन भी सुनाई देता है जो उन्होंने पहले लॉकडाउन की घोषणा के वक्त दिया था जिसमें उन्होंने बताया था कि कुछ ही घंटों में पूर्ण लॉकडाउन लागू किया जाएगा. इस घोषणा के चलते लाखों प्रवासी कामगार बड़े शहरों में फंसे रह गए. जबकि मध्यमवर्ग या कहें जिनके घर थे वो लोग अपने घरों में दुबक गए, जिनके पास घर नहीं थे, वे राजमार्गों और ट्रेन के ट्रैक के सहारे अपने गृह राज्यों के लिए निकल पड़े. जिन्हें प्रदेशों और जिलों की सीमाओं पर रोका जाता और कानून के रखवाले इन्हें दंडित करते प्रताड़ित करते.
ट्रेलर में नज़र आ रहे पुलिस के प्रवासी मज़दूरों को पीटने, और उन पर कीटनाशक के छिड़काव के दृश्य – असल में वास्तविक घटनाओं से ही लिए गए हैं. फिल्म उस अपमानजनक व्यवहार की याद दिलाती है जो उस वक्त आबादी के कमज़ोर वर्ग के साथ किया गया जब वो अपनी सबसे कमजोर स्थिति में थे और सरकार की ओर मदद की उम्मीद से देख रहे थे. वहीं दूसरी ओर, ट्रेलर में दीया मिर्जा का किरदार भी नज़र आता है, जो घर से दूर फंसी हुई है लेकिन एक संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखने वाली नज़र आ रही है. वहीं अगर बात राजकुमार राव की करें तो वो एक ईमानदार पुलिस वाले की भूमिका में हैं जो ऐसे मुश्किल समय में जातिगत पूर्वाग्रह से ग्रस्त एक व्यक्ति को सबक सिखाने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं. वहीं पंकज कपूर का किरदार एक ऐसे शख्स का है, जो एक समुदाय से मदद लेने से सिर्फ इसलिए मना कर देता है क्योंकि बीमारी के फैलने के साथ जो तब्लीगी जमात को लेकर विवाद खड़ा हुआ था वह उससे प्रभावित है.