रियाद। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बीते सप्ताह वाइट हाउस में बैठक हुई थी। इस बैठक को ट्रंप ने शानदार बताया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान तनाव देखने को मिला था। मीडिया कैमरों से दूर हुई इस बैठक में कई मसलों पर ट्रंप और प्रिंस सलमान के बीच असहमति नजर आई। इनमें सबसे बड़ा मसला अब्राहम अकॉर्ड है। ट्रंप ने अपील की थी कि सऊदी अरब भी इसका हिस्सा बने, लेकिन मोहम्मद बिन सलमान ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। इसके अलावा एक ऐसी शर्त भी रखी, जिसका पूरा होना मुश्किल है। ऐसे में ट्रंप का सऊदी अरब से दोबारा अब्राहम अकॉर्ड के लिए अपील करना मुश्किल होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप इस बात को लेकर निराश हुए कि सऊदी अरब ने अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। इसकी शुरुआत अमेरिका और इजराइल ने 2020 में की थी। इसमें यूएई और बहरीन जैसे देशों को शामिल किया गया था। इसके अलावा कजाखस्तान भी इसका हिस्सा बन चुका है। अब अमेरिका चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम देश इसका हिस्सा बनें ताकि मिडल ईस्ट में शांति रहे और इजराइल के साथ इनके रिश्ते बेहतर हों। इस लिहाज से सऊदी अरब सबसे अहम देश है, जिसे इस्लामिक मुल्क अपने नेता के तौर पर देखते हैं। ऐसी स्थिति में यदि सऊदी अरब ने साफ इनकार किया है तो अमेरिका के लिए यह झटका है।
बैठक में प्रिंस सलमान ने साफ कहा कि उनके देश की जनता अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है। हमारे देश में इसके पक्ष में कोई माहौल नहीं है। इसके अलावा यदि आप हमें इसमें देखना ही चाहते हैं तो फिर फिलिस्तीन को टू-स्टेट सॉलूशन के तहत मान्यता दें। यदि हमारी इस शर्त को पूरा किया जाता है तो हम इसके बारे में विचार करेंगे। प्रिंस सलमान ने कहा कि सऊदी अरब के लोग पूरी तरह से फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं। इसके अलावा इजराइल और हमास की जंग को लेकर भी हमारी एक राय है।
बता दें प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान एक सख्त नेता हैं। डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत में भी उनका यही रवैया देखने को मिला। उन्होंने कहा कि इजराइल को पीछे हटना चाहिए। फिलिस्तीन को मान्यता मिलनी चाहिए। तभी बातचीत के लिए हमारे दरवाजे खुल सकते हैं। वाइट हाउस के सूत्रों का कहना है कि ट्रंप इसलिए मिडल ईस्ट के देशों को इस अब्राइम अकॉर्ड में लाना चाहते हैं ताकि गाजा में जंग खत्म हो। इसके अलावा ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी मजबूती से आगे बढ़े।
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