Friday, November 21, 2025

Delhi Pollution: दिल्ली की हवा हुई ‘जानलेवा’, एक्सपर्ट्स बोले- “मेडिकल इमरजेंसी” जैसे हालात, जारी किया रेड अलर्ट

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Delhi Pollution: दिल्ली की एयर क्वालिटी शुक्रवार को और खराब हो गई, कई इलाकों में हवा का लेवल ‘खराब’ लेवल से नीचे चला गया. मेडिकल अलर्ट बढ़ गए हैं और सर्वे से पता चला है कि पिछले महीने दिल्ली-NCR के करीब 80 परसेंट घरों में कम से कम एक सदस्य ज़हरीली हवा की वजह से बीमार पड़ा है.
इसे ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ कहते हुए, एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इस बात के काफी सबूत हैं कि प्रदूषण से उम्र पर असर पड़ता है. डॉक्टरों ने यह भी कहा कि मास्क और एयर प्यूरीफायर कुछ सुरक्षा देते हैं, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए पूरे साल पॉलिसी में बदलाव की ज़रूरत है.

दिल्ली वालों को ‘खराब’ हवा से कोई राहत नहीं

सरकार के समीर ऐप के मुताबिक, शुक्रवार सुबह 9 बजे दिल्ली में 24 घंटे का एवरेज AQI 370 रिकॉर्ड किया गया। यह लगातार आठवां दिन है जब दिल्ली का AQI ‘बहुत खराब’ कैटेगरी में रहा है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने बताया कि बुधवार को AQI लेवल 392, मंगलवार को 374 और सोमवार को 351 था, जो हफ़्ते में तेज़ी से बढ़ोतरी दिखाता है.
वहीं, 18 स्टेशन ‘खराब’ के पार: 18 से ज़्यादा मॉनिटरिंग स्टेशनों ने AQI 400 से ऊपर रिकॉर्ड किया. इनमें चांदनी चौक, आनंद विहार, मुंडका, बवाना, नरेला, DTU और वज़ीरपुर शामिल हैं – जिनमें से कई लगातार 400-450 की रेंज को पार करते हैं.

दिल्ली के लिए आने वाले दिन और भी बुरे होंगे

इसके साथ ही मिनिस्ट्री ऑफ़ अर्थ साइंसेज़ के एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम ने कहा कि दिल्ली की एयर क्वालिटी अगले छह दिनों तक ‘गंभीर’ में जा सकती है और ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ ज़ोन में रह सकती है, ऐसा रुकी हुई हवाओं और सर्दियों के उलटफेर की वजह से हो सकता है.

किस वजह से हो रहा है प्रदूषण

IITM-डिसीजन सपोर्ट सिस्टम ने अनुमान लगाया कि गुरुवार को, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं ने PM2.5 प्रदूषण में 17.3% हिस्सा दिया, जबकि पराली जलाने से 2.8% हिस्सा मिला. शुक्रवार को, इनके थोड़ा कम होकर क्रमशः 16.2% और 1.8% होने की उम्मीद है.
राज्यों में खेतों में आग लगने की घटनाएं पता चलीं: सैटेलाइट डेटा से पता चला कि बुधवार को पंजाब में 16, हरियाणा में 11 और उत्तर प्रदेश में 115 जगहों पर आग लगने की घटनाएं हुईं – यह तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन सर्दियों के रुके हुए हालात में बैकग्राउंड प्रदूषण को बढ़ाने के लिए काफी है.

डॉक्टरों ने चेतावनी दी, हालात को बताया “मेडिकल इमरजेंसी”

वहीं, AIIMS के एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि एयर पॉल्यूशन “मेडिकल इमरजेंसी” की स्थिति में आ गया है, और अस्पतालों में सांस और पॉल्यूशन से जुड़े मामलों में 10-15% की बढ़ोतरी देखी गई है.
AIIMS के डॉक्टर डॉ. अनंत मोहन ने कहा, “यहां प्रदूषण बहुत ज़्यादा और जानलेवा है. यह स्थिति पिछले दस सालों से चल रही है. हम हर बार कुछ करने की कोशिश करते हैं, लेकिन असल में, ज़मीन पर मुझे ज़्यादा बदलाव नहीं दिखता. ज़िम्मेदार एजेंसियों को समय के साथ कड़े कदम उठाने चाहिए. सिर्फ़ सांस की ही नहीं, यह अब दूसरे अंगों पर भी असर डाल रहा है. कई लोग जानलेवा हालात का सामना कर रहे हैं. आउटपेशेंट और इमरजेंसी रूम दोनों में ज़रूर बढ़ोतरी हुई है. कई लोगों को वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा है. इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की तरह लेना चाहिए.”
डॉ. मोहन ने आगे कहा, “प्रदूषण दिल, दिमाग, मेंटल हेल्थ—हर फिज़ियोलॉजिकल सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. यह अजन्मे बच्चों और बुज़ुर्गों पर असर डालता है. अब हमारे पास साफ़ सबूत हैं कि यह ज़िंदगी की उम्मीद कम करता है.” उन्होंने कहा कि वार्ड घरघराहट, सांस फूलने, आंखों में जलन और तेज़ी से बिगड़ते COPD से परेशान लोगों से भरे हुए हैं.
AIIMS के डॉ. सौरभ मित्तल ने कहा: “दिल्ली प्रदूषण को सिर्फ़ नवंबर की समस्या मानकर बहुत बड़ी गलती कर रही है. पानी के स्प्रिंकलर और स्ट्रीट स्प्रे से बहुत कम फ़ायदा होता है. शहर को पूरे साल एक्शन की ज़रूरत है, मौसमी घबराहट की नहीं.”

Delhi Pollution: क्या मास्क और प्यूरीफ़ायर मदद करते हैं?

डॉक्टरों ने ज़ोर दिया कि मास्क और प्यूरीफ़ायर “सीमित व्यक्तिगत सुरक्षा देते हैं” और सिस्टमिक समाधानों की जगह नहीं ले सकते.
दिल्ली में 80% घर प्रभावित: लोकलसर्किल्स के एक सर्वे में पाया गया कि पिछले महीने दिल्ली-NCR में 10 में से 8 घरों में कम से कम एक सदस्य ज़हरीली हवा के कारण बीमार पड़ा. 36% घरों में चार या उससे ज़्यादा सदस्य सांस या प्रदूषण से जुड़े लक्षणों से परेशान थे. लोगों ने लगातार खांसी, आंखों में जलन, सिरदर्द, कंजेशन और अस्थमा बढ़ने की बात कही है.

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