अभिषेक झा,ब्यूरो चीफ
पटना : बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे अधिक चर्चा सरकार के शिक्षा मंत्री के तरफ से हिंदू धर्मग्रंथ रामचरित मानस को लेकर दिए गए बयान को लेकर हो रही है. विपक्षी दल शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हें.फिलहाल जेडीयू ने शिक्षा मंत्री के बयान को उनका निजी विचार कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया है.
शिक्षा मंत्री ने गलत संदर्भ में चौपाई का अर्थ निकाला
मामला बिगड़ता देख बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने एक प्रेस कान्फ्रेंस की. प्रेस कान्फ्रेंस में अशोक चौधरी ने कहा कि शिक्षा मंत्री का ये बयान जल्दीबाजी में दिया गया बयान लगता है.ये सोच समझ कर दिया गया बयान नहीं है.आज भी हिन्दू परिवार में इसका हर रोज पूजा पाठ होता है. वैसे पवित्र ग्रंथ के बारे में ऐसा बयान देना ठीक नहीं है. अशोक चौधरी ने कहा कि जिस पंक्ति को लेकर सवाल उठाया गया है वह दूसरे चीजों को लेकर कहा गया है.शिक्षा मंत्री ने गलत संदर्भ में चौपाई का अर्थ निकाला है.
ये शिक्षा मंत्री का निजी बयान है
उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर की तरफ से दिया गया बयान उनका निजी बयान है. उससे हमारी पार्टी या महागठबंधन का कोई लेना देना नहीं है लेकिन इसके बावजूद उनको इस तरह के बयान से बचना चाहिएऔर खुद का बयान वापस ले लेना चाहिए.
मैं अपने बयान पर कायम हूं चाहे मंत्री पद से हाथ धोना पड़े
इतने बवाल के बाद भी शिक्षा मंत्री अपने बयान पर कायम हैं.उनका कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं बोला है. माता शबरी के जूठे बेर खाने वाले राम अचानक रामचरितमानस में आते ही इतने जातिवादी कैसे हो जाते हैं? मैं उस रामचरितमानस का विरोध करता हूँ जो हमें यह कहता है कि जाति विशेष को छोड़ कर बाक़ी सभी नीच हैं. जो हमें शूद्र और नारियों को ढोलक के समान पीट-पीट कर साधने की शिक्षा देता है. जो हमें गुणविहीन विप्र की पूजा करने एवं गुणवान दलित, शूद्र को नीच समझ दुत्कारने की शिक्षा देता है. उन्होंने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि इसको लेकर मुझे अपना मंत्री पद से हाथ धोना पड़े तो भी मुझे परवाह नहीं है.