शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्यों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है और हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया है.
SCO के घोषणापत्र में पहलगाम हमले पर क्या कहा
SCO के घोषणापत्र में कहा गया है, “सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.”
बहुप्रतीक्षित शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के चीन रवाना होने से पहले, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत अप्रैल में हुए उस घातक आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की उम्मीद करता है जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे.
पाकिस्तान भी है SCO का सदस्य देश
भारत ने दस सदस्यीय एससीओ समूह द्वारा अपनाए जाने वाले संयुक्त बयानों और दस्तावेज़ों में सीमा पार आतंकवाद की निंदा पर ज़ोर दिया था. गौरतलब है कि रूस और चीन के अलावा, पाकिस्तान भी एससीओ के सदस्य देशों में शामिल है.
भारत ने हमेशा आतंकवाद और उसे पनाह देने वालों की आलोचना की है. एससीओ शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आतंकवाद की निंदा और यह कहना था कि इस संबंध में “कोई दोहरा मापदंड” स्वीकार्य नहीं होगा.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, भारत एकता पर अडिग है-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, भारत एकता पर अडिग है और एससीओ की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है.” उन्होंने पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर किसी भी तरह का दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है.
पाकिस्तान का नाम लिए बिना, प्रधानमंत्री मोदी ने सदस्य देशों का ध्यान “कुछ देशों” द्वारा खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन करने की ओर आकर्षित करने का भी प्रयास किया. अतीत में, कई भारतीय अधिकारियों और प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नई दिल्ली आतंकवादियों और उनके समर्थन को अलग-अलग नहीं मानता.
पाकिस्तान आतंकवाद को ही पर्यटन मानता है-पीएम मोदी
पहलगाम हमले के एक महीने से भी ज़्यादा समय बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान पर आतंकवाद के ज़रिए युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया था. उन्होंने मई में कहा था, “भारत पर्यटन में विश्वास करता है, जबकि पाकिस्तान आतंकवाद को ही पर्यटन मानता है, जो दुनिया के लिए बेहद ख़तरनाक है. मैं पाकिस्तान के लोगों से पूछना चाहता हूँ कि आपने क्या हासिल किया है? आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन आपकी क्या हालत है? आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों ने आपका भविष्य बर्बाद कर दिया है”
उन्होंने पाकिस्तानी नागरिकों से आगे आकर शांति का रास्ता अपनाने का भी आग्रह किया था और आतंकवाद के खात्मे की लड़ाई में शामिल होने का आग्रह किया था.
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पहलगाम का जिक्र नहीं था
हलांकि पहलगाम हमले के बाद 26 जून को चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री ने ये कहते हुए संयुक्त विज्ञप्ति पर साइन करने से इनकार कर दिया था कि “यह संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत स्टैंड को नहीं दिखाता है. ऐसा लगता है कि पहलगाम को इस बयान से बाहर करना पाकिस्तान के इशारे पर किया गया है क्योंकि उसका सदाबहार सहयोगी चीन अभी संगठन का अध्यक्ष है. इसमें न सिर्फ पहलगाम हमले का कोई जिक्र नहीं है बल्कि उसकी जगह डॉक्यूमेंट में बलूचिस्तान का उल्लेख किया गया है, और भारत पर वहां बिना नाम लिए अशांति पैदा करने का आरोप लगाया गया है.”
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