Land For Job FIR : पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव पर चल रहे लैंड फॉर जॉब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया है.शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट में चल रहा ये मामला हाईकोर्ट में ही तय होना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट इसमें कोई दखल नहीं देना चाहता है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर चल रहे ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला मामले में मुकदमे की कार्यवाही बिना किसी रोक के आगे बढ़ेगी.
Land For Job FIR मामले में जारी रहेगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि फिलहाल इस मामले में हाईकोर्ट में जो सुनवाई चल रही है, उसमें सुप्रीम कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा. अदालत ने साफ कर दिया है कि ट्रायल की कार्यवाही पर कोई स्टे नहीं दिया गया है .इस लिए मुकदमे पर हो रही कार्रवाई जारी रहेगी.
लालू यादव के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कपिल सिब्बल
मामले पर पैरवी के दौरान लालू यादव के वकील कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये बेहद चौंकाने वाला मामला है. लालू प्रसाद 2002 से मंत्री रहे, लेकिन सीबीआई की जांच 2014 में शुरू हुई और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति भी नहीं ली गई, जबकि बाकी सभी के लिए स्वीकृति प्राप्त कर ली गई है.
लैंड फॉर जॉब मामले में किस किस पर दर्ज है FIR
मामला लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहने के समय का है. आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए कई लोगों को रेलवे में नौकरियां दी, जिसके बदले उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया या तौहफे के तौर पर जमीन अपने और परिवार के लोगों के नाम पर लिखवा लिया. इस मामले में सीबीआई को 18 मई 2022 को लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव और कुछ और परिवार के कुछ अन्य सदस्य मुकदमा चलाने की अनुमति मिली थी.
तेजस्वी यादव और तेज प्रताप के नाम बाद में जोड़े गये
शुरु में दर्ज FIR में तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव का नाम नहीं था. इस मामले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के द्वारा की गई जांच के बाद तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव का नाम भी जोड़ा गया. तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव का नाम मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में जोड़ा गया. 6 अगस्त 2024 ईडी ने पूरक चार्जशीट दाखिल की, जिसमें तेजस्वी यादव और तेज प्रताप को भी आरोपी बनाया गया.
इस मामले में लालू प्रसाद यादव समेत लालू परिवार और उनके करीबी पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने और ट्रायल पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.