Bihar election: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) का फैसला संवैधानिक रूप से वैध है.
इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि चुनाव निकाय की कार्रवाई भारतीय संविधान के तहत अनिवार्य है और पिछली बार ऐसी कार्रवाई 2003 में की गई थी.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं.
Bihar election: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया संवैधानिक रूप से अनिवार्य है और इसकी मिसाल पहले भी रही है. उन्होंने कहा कि पूरी एसआईआर लगभग 7.9 करोड़ नागरिकों को कवर करेगी. उन्होंने आगे कहा कि मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी विचार नहीं किया जा रहा है.
10 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में की गई दी दायर
सुप्रीम कोर्ट में 10 से ज़्यादा याचिकाएँ दायर की गई हैं, जिनमें एक याचिका एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की भी है, जो मुख्य याचिकाकर्ता है.
राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल, राकांपा (सपा) नेता सुप्रिया सुले, भाकपा नेता डी. राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत, झामुमो के सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने भी चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने के निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है.
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