बिहार में चुनाव आयोग की Special Intensive Revision (SIR) को लेकर मतदाताओं में अफरातफरी की स्थिति है. चुनाव आयोग ने सभी मतदाताओं को पुनरीक्षण प्रपत्र भरने और कागजात जमा करने के लिए 25 दिन का समय दिया है. इस पूरी प्रक्रिया को लेकर लोगों की क्या चिंताएं हैं, क्या समस्याएं हैं, ये टीवी9 भारतवर्ष ने पटना के अदालतगंज इलाके में जाकर हालात का जायजा लिया.
यहां के जोबा पासवान के परिवार के सदस्यों को गणना प्रपत्र मिल गया है. अब इसे भरने और कागजात की चिंता सता रही है. किसी के पास आधार और राशन कार्ड, वोटर कार्ड के अलावा कोई कागजात नहीं है. चुनाव आयोग को जन्म और आवासीय प्रमाण पत्र चाहिए.
अदालतगंज के एक आंगनबाड़ी केंद्र में हैरान करने वाली जानकारी सामने आई. महिला पुरुष सब अपना अपना प्रपत्र ढूंढने के लिए बंडल पर टूटे पड़े, जो महिला BLO लोगों की मदद कर रही हैं उनके पास ही वो दस्तावेज नहीं हैं जिसकी जरूरत चुनाव आयोग ने बताई है.
हर घर में यही चर्चा और अफरातफरी है. कुछ लोग तो कागजात बनवाने के लिए ब्लॉक तक का चक्कर लगा आए हैं. वहां के बाबू हजार रुपया मांग रहे हैं. मतदाताओं की तो छोड़िए खुद BLO कह रही हैं कि मेरे पास भी कुछ कागजात नहीं है. लगता है इस बार मेरा ही नाम वोटर लिस्ट से छांट दिया जाएगा.
विपक्ष के तमाम सवाल और आपत्तियां हैं, लेकिन इस बीच चुनाव आयोग ने अपना तर्क भी जारी किया है.
- बिहार में कुल 7.89 करोड़ वोटर्स
- 4.96 करोड़ नाम 2003 की लिस्ट में दर्ज
- 4.96 करोड़ लोगों को सिर्फ फॉर्म भरना है
- फॉर्म भरकर अपनी पहचान की पुष्टि करनी है
- संविधान के मुताबिक पुनरीक्षण का फैसला
- योग्य लोगों की वोटिंग सुनिश्चित करना मकसद
- पुनरीक्षण की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है
- दस्तावेजों की लिस्ट में 11 विकल्प दिए गए
- हर मतदाता को पर्याप्त मौका दिया जा रहा है
बिहार में वोटर पुनरीक्षण अभियान से जुड़े हर सवाल का जवाब
सवाल- 2003 के बाद अगर वोटर लिस्ट में नाम तो माता-पिता का प्रमाण देना पड़ेगा ?
जवाब- 2003 के बाद नाम जुड़ा तो नागरिकता से जुड़ा प्रमाण देना होगा
सवाल- 1987 के बाद जन्म तो क्या दस्तावेज देने होंगे ?
जवाब
- जन्म प्रमाण पत्र
- मूल निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट
- फैमिली रजिस्टर
- शैक्षणिक प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
सवाल- क्या 2003 के बाद वाला फैसला पलायन वाले परिवारों के लिए है ?
जवाब– पलायन करने वालों के लिए फैसला नहीं. फर्जी या डबल वोटर्स को हटाने के लिए
सवाल– क्या चुनाव आयोग ऐसा अभियान चला सकता है ?
जवाब- संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत अधिकार वोटर लिस्ट की शुद्धता तय करने का हक
सवाल– दस्तावेज नहीं देने पर वोटर लिस्ट से नाम हट जाएगा?
जवाब– सिर्फ दस्तावेज न देने से नाम नहीं हटेगा अगर BLO पुष्टि न करे तभी नाम कटेगा
सवाल– कितने BLO और कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है ?
जवाब– 98,500 BLO, 100000+ वॉलेंटियर्स
सवाल– 1987 से पहले, 1987 के बाद 2003 का साल क्यों तय ?
जवाब– जन्म और नागरिकता की जांच आसान हो. 2003 के पहले की वोटर लिस्ट आधार बना.
सवाल– मौजूदा समय में बिहार में कुल कितने वोटर ?
जवाब– बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता
बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान
- 25 जून से 26 जुलाई- घर घर सर्वे
- 1 अगस्त 2025- वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट का प्रकाशन
- 1 अगस्त-1 सितंबर 2025- दावा और आपत्तियां
- 30 सितंबर 2025- अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
किन दस्तावेजों की जरूरत?
- 1. सरकार से जारी पहचान पत्र
- 2. पेंशन भुगतान आदेश
- 3 जुलाई 1987 से पहले जारी सर्टिफिकेट
- 4. जन्म प्रमाण पत्र
- 5. पासपोर्ट
- 6. बोर्ड का शैक्षणिक प्रमाण-पत्र
- 7. मूल निवास प्रमाण पत्र
- 8. जाति प्रमाण पत्र
- 9. वन अधिकार प्रमाण पत्र
- 10. फैमिली रजिस्टर
- 11. जमीन या घर का सरकारी प्रमाण पत्र
विपक्ष के आरोप क्या?
- आयोग का फैसला अलोकतांत्रिक है
- लोकतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिश
- साल 2003 में SIR में 18 महीने लगे थे
- अब 1 महीने में पुनरीक्षण कैसे हो जाएगा?
- 15% से कम लोगों के पास मैट्रिक सर्टिफिकेट
- 60 फीसदी लोगों के पास ही पक्के मकान
- महादलित परिवार के पास दस्तावेज नहीं
- 2022 में 71.6% लोगों का बर्थ रजिस्ट्रेशन
वोटर लिस्ट चेकिंग में परेशानी क्या?
- SIR के दस्तावेज में आधार कार्ड नहीं
- सिर्फ 22% लोग पांचवीं तक पढ़े हैं
- 15% से कम लोग मैट्रिक पास हैं
- सिर्फ 6% आबादी ग्रेजुएट है
- सिर्फ 0.82% लोग पोस्ट ग्रेजुएट
- 26.5% लोग कच्चे घरों में रहते हैं
- 14% लोग झोपड़ी में रहते हैं
- 0.24% लोगों के पास घर नहीं है
- 21% वोटर राज्य से बाहर रहते हैं