तबला वादक जाकिर हुसैन Zakir Hussain का 73 वर्ष की आयु में सैन फ्रांसिस्को में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण निधन हो गया. सोमवार को उनके परिवार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में इसकी पुष्टि की गई.
महान तबला वादक अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जिसे दुनिया भर के असंख्य संगीत प्रेमी संजोकर रखते हैं और उसका सम्मान करते हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी दिखाई देगा.
हुसैन के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला, उनकी बेटियाँ अनीसा कुरैशी और उनका परिवार, इसाबेला कुरैशी और उनका परिवार, उनके भाई तौफीक और फजल कुरैशी और उनकी बहन खुर्शीद औलिया हैं.
रविवार को अस्पताल में भर्ती कराए गए थे Zakir Hussain
इससे पहले रविवार को हुसैन के दोस्त और बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने कहा था कि तबला के दिग्गज को हृदय संबंधी समस्याओं के कारण सैन फ्रांसिस्को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था.
हालांकि, रविवार को शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि 73 वर्षीय संगीतकार का निधन हो गया है. लेकिन इन दावों को उनके प्रचारक ने खारिज कर दिया, जिन्होंने पीटीआई से पुष्टि की कि उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है और “उनकी मृत्यु नहीं हुई है.”
उस समय उनके परिवार ने हुसैन के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए सभी से प्रार्थना और आशीर्वाद मांगा था. उनकी स्थिति के बारे में अन्य विवरण पहले प्रकट नहीं किए गए थे.
“परिवार इस समय निजता का अनुरोध करता है.”
सोमवार को हुसैन के निधन पर आधिकारिक बयान में, उनके परिवार ने कहा, “एक शिक्षक, संरक्षक और शिक्षक के रूप में उनके विपुल कार्य ने अनगिनत संगीतकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है. उन्हें उम्मीद थी कि वे अगली पीढ़ी को और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. वह एक सांस्कृतिक राजदूत और सभी समय के महानतम संगीतकारों में से एक के रूप में एक अद्वितीय विरासत छोड़ गए हैं.”
इसमें कहा गया है, “परिवार इस समय निजता का अनुरोध करता है.”
श्रद्धांजलियों का लगा तांता
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हुसैन के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की और उन्हें “एक सांस्कृतिक राजदूत बताया, जिन्होंने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली लय से सीमाओं और पीढ़ियों को जोड़ा”. उन्होंने कहा, “पद्म विभूषण से सम्मानित तबला वादक और तालवादक ने असाधारण प्रदर्शन और सहयोग के साथ अपने पिता की विरासत को शानदार ढंग से आगे बढ़ाया. उनके कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान इस बात के प्रमाण हैं.”
इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने तबला वादक को “भारत की समृद्ध संगीत विरासत का प्रतीक और शास्त्रीय परंपराओं का सच्चा संरक्षक” बताया.
विजयन ने कहा, “उस्ताद जाकिर हुसैन ने भारतीय संगीत को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारत की समृद्ध संगीत विरासत के प्रतीक के रूप में काम कर रहे थे. शास्त्रीय परंपराओं के सच्चे संरक्षक, कला में उनका योगदान अद्वितीय है. उनका निधन संस्कृति और मानवता के लिए एक बड़ी क्षति है. उनके प्रियजनों के प्रति हार्दिक संवेदना.”
वहीं कांग्रेस ने भी अपने अधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट कर जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि दी, “मशहूर तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन का समाचार बेहद पीड़ादायक है. यह तबला वादन की दुनिया में एक अपूरणीय क्षति है, एक युग का अंत है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें और शोकाकुल परिजनों व प्रशंसकों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें.”
ज़ाकिर हुसैन के निधन पर RJD सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “ये उम्र उनके जाने की नहीं थी, हम सब उनको सुनकर बड़े हुए हैं. आपको स्मरण होगा ‘वाह ताज वाह’ टैग लाइन बन गया था ईश्वर उनके चाहने वाले को संबल दें.”
ज़ाकिर हुसैन के निधन पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “ज़ाकिर हुसैन तबला के क्षेत्र में और भारतीय संगीत के क्षेत्र में बहुत बड़े दिग्गज थे…ऐसे व्यक्ति आज हमारे बीच नहीं रहें मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति दें..”
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