Sunday, July 6, 2025

मेक्सिको में पर्यटन के खिलाफ हुआ हिंसक प्रदर्शन, स्पेन-इटली में विरोध 

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मेक्सिको सिटी। मेक्सिको की राजधानी और प्रमुख पर्यटन स्थलों पर शुक्रवार को टूरिज्म और शहरीकरण (जेंट्रीफिकेशन) के खिलाफ बड़ा और हिंसक प्रदर्शन हुआ। कोंडेसा और रोमा जैसे पॉश टूरिस्ट इलाकों में शांतिपूर्ण विरोध की शुरुआत हुई, लेकिन यह जल्द ही आगजनी, तोड़फोड़ और लूटपाट में बदल गया। 
प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया और टूरिस्ट मेक्सिको से बाहर जाओ तथा हमारे घर चुराना बंद करो जैसे नारों से अपनी नाराजगी जताई। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बीते कुछ वर्षों में अमेरिका और अन्य देशों से बड़ी संख्या में टूरिस्ट और प्रवासी मेक्सिको सिटी आए हैं। इससे शॉर्ट-टर्म रेंटल की मांग बढ़ी है, किराया आसमान छूने लगा है, और स्थानीय लोग अपने इलाकों से बेदखल हो रहे हैं। खासकर कोविड-19 के बाद वर्क-फ्रॉम-होम ट्रेंड के चलते अमेरिकी नागरिकों ने सस्ते जीवन और जीवंत संस्कृति की वजह से यहां आना शुरू किया।

आवास संकट, विस्थापन और सांस्कृतिक असंतुलन
कोंडेसा और रोमा जैसे इलाकों में स्थानीय संस्कृति और सामाजिक संरचना पर भारी दबाव है। जेंट्रीफिकेशन की प्रक्रिया ने न केवल किराए बढ़ाए हैं, बल्कि मूल निवासियों को शहर के बाहरी, कम सुविधाजनक इलाकों में शिफ्ट होने को मजबूर कर दिया है। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि टूरिज्म को नियंत्रित किया जाए, शॉर्ट-टर्म रेंटल प्लेटफॉर्म्स पर सख्ती की जाए और किफायती आवास सुनिश्चित किए जाएं।
स्पेन, इटली और पुर्तगाल में भी बढ़ा विरोध
मेक्सिको की तरह यूरोप के भी कई शहर टूरिज्म के दबाव में हैं और वहां भी जनविरोध बढ़ता जा रहा है। इसी प्रकार स्पेन के बार्सिलोना में 15 जून को हुए विरोध में प्रदर्शनकारियों ने टूरिस्ट्स पर पानी फेंका और पर्यटक वापस जाओ जैसे नारे लगाए। 2023 में शहर में 1.6 करोड़ पर्यटक आए, जबकि स्थानीय आबादी इससे 10 गुना कम है।
इटली: वेनिस में हाल ही में प्रदर्शनकारियों ने नए होटलों के निर्माण का विरोध किया, जहां अब होटलों की संख्या स्थानीय घरों से भी अधिक हो गई है।
पुर्तगाल: लिस्बन और मेजरका जैसे शहरों में भी प्रदर्शन हो चुके हैं।

पर्यटन बनाम स्थानीय हित
हालांकि टूरिज्म यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार है — स्पेन में यह जीडीपी  का 12 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा पर्यटन मॉडल केवल चुनिंदा वर्ग को लाभ पहुंचा रहा है, जबकि आम नागरिक संकट में हैं। उनकी मांग है कि टूरिज्म को सस्टेनेबल (सतत) बनाया जाए और सरकारें नीतियों में बदलाव करें। प्रदर्शनकारी पर्यटकों को दुश्मन नहीं मानते, बल्कि सरकारों से मांग कर रहे हैं कि स्थानीयों के हितों को प्राथमिकता दी जाए। 

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