Sunday, July 6, 2025

चांदी के पाउडर से बना ‘सुपर बम’, चीन की नई रिसर्च से फैली सनसनी

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China Silver Bomb :  परमाणु बम का डर अब बीते जमाने की बात लगने लगेगी, वो इसलिए क्योंकि चीन के वैज्ञानिकों ने बिना यूरेनियम और प्लूटोनियम के ऐसा बम बना लिया है, जो न सिर्फ विनाशकारी है, बल्कि परमाणु विस्फोट जैसी तबाही भी मचा सकता है. चौंकाने वाली बात ये है कि ये धमाका हुआ है चांदी जैसे दिखने वाले एक पाउडर से.

China Silver Bomb : इाईड्रोजन आधारित उपकरण में केमिकल चेन रियेक्शन

रिपोर्ट के मुताबिक ये परीक्षण एक खास तरह के हाइड्रोजन-आधारिक उपकरण पर किया गया जिसने जबरदस्त केमिकल चेन रिएक्शन शुरू कर दिया. इसका नतीजा था 1000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तापमान वाली आग की गेंद जो लगातार दो सेकंड तक जलती रही. यह अवधि पारंपरिक विस्फोटकों से करीब 15 गुना ज्यादा है.

…पर इसमें रेडिएशन नहीं था 
चीन के वैज्ञानिकों ने यह डिवाइस चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन (CSSC) के 705 रिसर्च इंस्टिट्यूट में तैयार की. दिलचस्प बात ये है कि इस हाइड्रोजन बम को परमाणु सामग्री के बिना ही बनाया गया. इस धमाके के पीछे था मैग्नीशियम हाइड्राइड नाम का एक चांदी जैसा दिखने वाला पाउडर. इसे पहले ऐसे इलाकों में हाइड्रोजन ले जाने के लिए बनाया गया था जहां बिजली नहीं पहुंचती. वहीं अब इसका इस्तेमाल हथियारों में भी हो रहा है.

कैसे काम करता है ये बम?
इस डिवाइस में एक पारंपरिक विस्फोटक जैसे ही एक्टिवेट होता है, यह पाउडर तेजी से गर्म होता है और हाइड्रोजन गैस छोड़ता है. ये गैस बेहद ज्वलनशील होती है और तुरंत जल उठती है. इससे जो आग का गोला बनता है, वह तीव्रता में पारंपरिक बमों से कहीं ज़्यादा होता है और यह बिना किसी रेडिएशन के काम करता है. यही वजह है कि इसे हाइड्रोजन बम की नई किस्म माना जा रहा है.

मैग्नीशियम हाइड्राइड का महत्व क्या है?
अब तक वैज्ञानिक इस पदार्थ को हर दिन कुछ ही ग्राम बना पाते थे, क्योंकि इसकी प्रोडक्शन प्रोसेस में बहुत अधिक तापमान और दबाव की जरूरत होती थी. साथ ही हवा में इसके आने का मतलब हो सकता है अचानक विस्फोट. लेकिन अब चीन ने शांक्सी प्रांत में एक बड़ी फैक्ट्री बनाई है, जो हर साल 150 टन मैग्नीशियम हाइड्राइड बना सकती है.

क्यों है हाइड्रोजन इतना खतरनाक?
रिसर्चर्स के मुताबिक हाइड्रोजन को जलाना बहुत आसान होता है. इसमें बहुत कम एनर्जी लगती है और ये बड़ी तेजी से फैलता है. यही वजह है कि ये पारंपरिक विस्फोटकों से कहीं ज्यादा तबाही मचा सकता है, वो भी बिना रेडिएशन के.

सेना और ड्रोन में होगा इस्तेमाल?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तकनीक को सिर्फ हथियारों के लिए नहीं बल्कि पानी के अंदर चलने वाले सबमरीन फ्यूल सेल्स और लंबी दूरी तक उड़ने वाले ड्रोन को पावर देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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