डेस्क: चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने सोमवार (29 सितंबर, 2025) को कहा कि इस कम्युनिस्ट देश में धर्मों (Religions) को समाजवादी समाज के और अधिक अनुरूप होना चाहिए. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीन में धर्म चीनी परिप्रेक्ष्य के और अधिक अनुरूप होने चाहिए.
शी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के एक समूह अध्ययन सत्र की अध्यक्षता करते हुए धर्मों को सक्रिय मार्गदर्शन प्रदान करने का भी आह्वान किया ताकि वे समाजवादी समाज के अनुरूप बन सकें. साल 2012 में सत्ता में आने के बाद से, शी (72) सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की धर्म संबंधी नीतियों को मार्क्सवादी विचारधारा के साथ जोड़कर उन्हें नया रूप दे रहे हैं.
इस साल जुलाई में, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक सवाल का जवाब देते हुए, शी द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत तिब्बती बौद्ध धर्म और अन्य धर्मों के चीनीकरण का बचाव किया था. माओ ने कहा, ‘मेरा मानना है कि धर्म का चीनीकरण धार्मिक आचरण पर प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं है, बल्कि सभी धर्मों को देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य के अनुरूप होना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘चीन में तिब्बती बौद्ध धर्म एक ऐसे धर्म का प्रमुख उदाहरण है जिसने चीनी विशेषताओं को समाहित किया है और जो चीनीकरण की प्रक्रिया का उदाहरण है.’ चीन का कहना है कि उसके पास धार्मिक स्वतंत्रता है, लेकिन उसे पार्टी द्वारा निर्धारित मानदंडों के भीतर काम करना चाहिए.
यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि धर्मों को चीनी परिस्थितियों के अनुरूप होने के लिए क्या करना चाहिए. धर्म पर शी की टिप्पणी तिब्बत और शिनजियांग की उनकी हालिया यात्रा की पृष्ठभूमि में आई है. ये ऐसे दो विशाल प्रांत हैं जो सात दशकों से अधिक समय तक सीपीसी शासन और दमन के बावजूद भी अपनी धार्मिक पहचान बरकरार रखे हुए हैं.