तेलअवीव। इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट ने मौजूदा बेंजामिन नेतन्याहू सरकार की गाजा को मानवीय शहर में बदलने की योजना की कड़ी आलोचना कर दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह योजना वास्तव में गाजा को कंसन्ट्रेशन कैंप में बदल देगी और जातीय नरसंहार के समान बताया है। पूर्व पीएम ओल्मर्ट का मानना है कि गाजा में फिलीस्तीनी आबादी को एक सीमित क्षेत्र में केंद्रित करके उनकी जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। उनके अनुसार, मानवीय शहर के नाम पर बनाए जा रहे ढांचे वास्तव में गाजा की आबादी को नियंत्रित करने और उनकी गतिविधियों को सीमित करने की एक रणनीति का हिस्सा हैं। उनका तर्क है कि इज़रायली सरकार की ये नीतियां और योजनाएं गाजा में पहले से ही गंभीर भुखमरी, दवाओं की कमी और बुनियादी ढांचे की तबाही जैसी समस्याओं को और बढ़ा देंगी, जिससे यह क्षेत्र एक खुले आसमान की जेल बनेगा। यह आलोचना तब आई है जब गाजा में इज़रायल-हमास युद्ध के कारण स्थिति अत्यंत गंभीर है। बता दें कि गाजा में पिछले डेढ़ साल से चल रहे इजरायल-हमास युद्ध ने वहां की स्थिति को अत्यंत गंभीर बना दिया है। 43,000 से अधिक फिलीस्तीनियों की मौत और 90 फीसदी आबादी का बेघर होना इसकी भयावहता को दिखाता है। इजरायल की नाकाबंदी के कारण गाजा को खुले आसमान का जेल कहा जाने लगा है।
अमेरिका ने इजरायल को गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने के लिए 30 दिन का अल्टीमेटम दिया है, ऐसा ना होने पर सैन्य सहायता में कटौती की चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों ने गाजा में भुखमरी और स्वास्थ्य संकट की चेतावनी दी है।
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