देश में अगले साल 2023 में जी 20 देशों का सम्मेलन होना तय हुआ है. इस क्रम में अगले साल नई दिल्ली में आयोजित होने वाले जी 20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कुल 20 देशों के राष्टाध्यक्ष भारत आएंगे. इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व के विभिन्न मुद्दों मसलन विकास, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विस्तार से चर्चा होगी. इस दौरान जी 20 के मेजबान के तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी 20 देशों के राष्टाध्यक्षो को भारत की प्राचीन विरासत और धरोहरों से परिचित भी कराएंगे. दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन सभी राष्टाध्यक्षो को देश के अलग अलग राज्यों में स्थित प्राचीन भवनों, किलों व खंडहरों को दिखाकर उनके बारे में सभी समुचित जानकारी देना चाहते हैं.
नालंदा विश्विद्यालय को देखेंगे जी 20 के राष्ट्राध्यक्ष
देश में अगले साल 2023 में जी 20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत आने वाले जी 20 के राष्ट्राध्यक्षो को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय जा सकते हैं. इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री सभी राष्ट्राध्यक्षो को नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने के साथ ही उनको यह भी जानकारी देेंगे की आज से सैकड़ों साल पहले भारत की शिक्षा व्यवस्था कितनी बेजोड़ व शानदार थी.
दरअसल जी 20 की बैठक की मेजबानी हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक ही लक्ष्य है. भारत में विदेश निवेश को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना. बिहार में विदेश निवेश को मिलेगा बढ़ावा अगले साल भारत में होने वाली जी 20 में शामिल होने के लिए आने वाले सभी राष्ट्राध्यक्ष बिहार के नालंदा विश्वद्यालय पहुंचेंगे. इस दौरान विदेशी राष्ट्राध्यक्ष नालंदा के अलावा बिहार के कई अन्य जिलों व ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों का अवलोकन व निरीक्षण करेंगे. दरअसल नरेन्द्र मोदी बिहार में विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर वहा का चौमुखी विकास करना चाहते है. नरेन्द्र मोदी बिहार में वहा के प्राचीन पर्यटन स्थलों, शैक्षणिक केंद्रों, मैन पावर और विकास के लिए निवेश को लाना चाहते है. सूत्रों के मुताबिक अगर सबकुछ तय समय पर हुआ तो आगामी वर्ष 2023 में बिहार में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और बिहार में विकास की बयार होगी.
धार्मिक व पर्यटन केंद्रों का होगा बेहतर विकास
बिहार में स्थित प्राचीन पर्यटन स्थल मसलन बोधगया,राजगीर, गया, नालंदा सहित अन्य क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना और वहां पर रोजगार को बढ़ावा देना ही जी 20 के सदस्यों को बिहार ले जाने के मुख्य लक्ष्य है.
दरअसल देश के अन्य राज्यों की तुलना में अभी भी बिहार राज्य काफी पिछड़ा हुआ प्रदेश है. इसके अलावा चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर चिकित्सा का या फिर विकास का ही क्षेत्र क्यों न हो बिहार में अभी भी विकास की बहुत संभावनाएं हैं. बिहार प्रदेश के इसी पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां पर विदेशी निवेश को बढ़ावा देना चाहते हैं. ताकि बिहार के पर्यटन व प्राचीन पौराणिक व धार्मिक स्थलों का विकास हो सके. जब भी किसी प्रदेश में वहा के पर्यटन स्थलों पर देशी विदेशी यात्रियों का आवागमन बढ़ा है तो स्थानीय निवासियों व नागरिकों को रोजगार के नए नए अवसर मिलने लगते हैं. इसके साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार की तलाश में बाहर जाने की आवश्यक्ता नहीं पड़ती है.
विकास के नए आयाम स्थापित होंगे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दरअसल देश को भविष्य में आगामी वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र के निर्माण की ओर अग्रसर करने की कोशिश कर रहें हैं. प्रधानमंत्री ने अभी तक इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए हैं. मसलन देश के धार्मिक व पर्यटन स्थलों का विकास जिनमें काशी विश्वनाथ काॅरीडोर, अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण, उज्जैन में महाकाल काॅरीडोर यानि भव्य महाकाल लोक का निर्माण बीते आठ वर्षो में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में किया गया है. इसके अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण कार्य हुए. जिनसे पर्यटन व व्यापार को बढ़ावा मिला है मसलन गुजरात में स्टेच्यू आफ यूनिटी का निर्माण कार्य, अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन चलाने के दिशा में कार्य, देश के कई रूटों पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन की शुरूआत होना शामिल है. दरअसल इन कार्यों से न सिर्फ लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हुए है बल्कि देश के सभी लघु व बड़े व्यापारियों को भी काफी ज्यादा सहूलियतें मिली है. उदाहरण स्वरूप जैसे यदि गुजरात में स्टेच्यू आफ यूनिटी का निर्माण हुआ. तो उसके निर्माण में खर्च हुई कुल लागत बीते दो वर्षो में ही वहा की सरकार ने पर्यटकों के टिकट से प्राप्त कर लिए है. इसके बाद अब स्टेच्यू आफ यूनिटी देखने के लिए आने वाले पर्यटकों से होने वाली आय लाभ के रूप में प्राप्त हो रही है. इसी तरह के देश के अन्य हिस्सों मसलन बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकास के नए आयामों को जी 20 के सदस्यों के साथ रेखांकित व चिन्हित करके आगे बढ़ाना चाहते हैं.
शैक्षणिक संस्थानों के विकास को बढ़ावा देना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के सैकड़ों साल पुराने व वर्तमान शैक्षणिक संस्थानों को बेहतरीन व आधुनिक बनाना चाहते है. दरअसल प्रधानमंत्री की यह सोच है कि देश के युवा छात्र छात्राओं को बेहतरीन व आधुनिक तकनीकि से युक्त शिक्षा मसलन इंजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई के लिए उनको विदेश नहीं जाना पड़े. बल्कि प्रधानमंत्री यह चाहते हैं कि वे छात्र भारत में ही रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त करें. आकंड़ों के मुताबिक अभी कुछ वर्ष पहले तक देश में ज्यादातर युवा मेडिकल व इजीनियरिंग की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, चीन, यूक्रेन सहित कई देशों में जाते थें. जहां पर उन्हें लाखों रूपए सलाना फीस खर्च करके अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती थी. हालांकि अब वर्तमान में नरेन्द्र मोदी की सरकार देश में ही विदेश निवेश के माध्यम से उच्च शिक्षा को बेहतर व आधुनिक बनाने की नीव रखना चाहती है. पूर्व की सरकारों में देश में आधुनिक व उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोई विशेष कार्य नहीं किए जा सके. नतीजतन देश के ज्यादातर युवाओं को देश के बाहर जाना पड़ता है.
लघु उद्योगों को बढ़ावा देने की कोशिश
देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 20 के माध्यम विदेशों से अपने देश में निवेश लाकर यहां के लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते है. इसके साथ देश में अलग अलग प्रोडक्ट्स के स्टार्टअप को भी बढ़ावा देना चाहते है ताकि देश के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके और वह आत्मनिर्भर बन सके. दअरसल जब देश में विभिन्न राज्यों में देशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना बढ़ावा तो ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा.
मनीष गुप्ता
स्वतंत्र पत्रकार