मोदी सरकार ने 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस विशेष सत्र से पहले अब 17 तारीख को शाम 4.30 बजे सरकार ने सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स की बैठक बुलाई है. इस बात की जानकारी संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट के जरिए दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “इस महीने की 18 तारीख से संसद सत्र से पहले 17 तारीख को शाम 4.30 बजे सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स की बैठक बुलाई गई है. इसके लिए संबंधित नेताओं को ईमेल के माध्यम से निमंत्रण भेजा गया है.”
Ahead of the parliament session from the 18th of this month, an all-party floor leaders meeting has been convened on the 17th at 4.30 PM. The invitation for the same has been sent to concerned leaders through email.
Letter to followಇದೇ ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 18 ರಿಂದ ಆರಂಭವಾಗಲಿರುವ ವಿಶೇಷ…
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) September 13, 2023
विशेष सत्र के एजेंडे को लेकर बना हुआ है रहस्य
सरकार के अचानक संसद का पांच दिन का विशेष सत्र बुलाने के एलान ने अफवाहों का बाज़ार गर्म कर दिया. लोग अलग अलग तरह के कयास लगाने लगे. जहां कुछ लोगों की राय है कि सरकार ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करेगी, वहीं कुछ लोग ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ या समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाए जाने की बात कर रहे है. कुछ लोगों का मानना है कि नए संसद भवन में पहली संसद की कार्रवाई करवाने के लिए ये सत्र रखा गया है. खबर ये भी है कि संसद का सत्र 18 सितंबर को पुराने भवन में शुरु होगा और फिर 19 सितंबर यानी गणेश चतुर्थी के दिन नई संसद में इसे शिफ्ट किया जाएगा.
कांग्रेस और टीएमसी ने सत्र के एजेंडे को लेकर कसा है तंज
सरकार के सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स मीटिंग बुलाने से पहले बुधवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विशेष सत्र के एजेंडे को लेकर एक पोस्ट डाला था. जयराम रमेश ने इस पोस्ट में बताया था कि विशेष सत्र शुरु होने में सिर्फ 5 दिन बचे है और सरकार ने अबतक सत्र का एजेंडा नहीं बताया है इसके साथ ही जयराम रमेश ने उन सभी मौकों का जिक्र भी किया था जब विशेष सत्र बुलाए गए और उनका एजेंडा क्या था. उन्होंने लिखा, “आज 13 सितंबर है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज से पांच दिन बाद शुरू होगा। सिर्फ़ एक व्यक्ति (शायद वो दूसरे को भी) को छोड़कर किसी को भी इस विशेष सत्र के एजेंडे की जानकारी नहीं है। पिछले प्रत्येक अवसर पर, जब विशेष सत्र या विशेष बैठकें आयोजित की जाती थीं, तो कार्य सूची पहले से तय होती थी। पूर्व के ऐसे अवसरों की लिस्ट:
1. 26 नवंबर, 2019 – संविधान की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सेंट्रल हॉल में विशेष बैठक।
2. 30 जून, 2017 – GST लागू करने के लिए आधी रात को सेंट्रल हॉल में संयुक्त विशेष सत्र।
3. 26 और 27 नवंबर, 2015 – संविधान दिवस मनाने के लिए विशेष बैठक।
4. 13 मई, 2012 – राज्यसभा और लोकसभा की पहली बैठक की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष बैठक.
5. 22 जुलाई, 2008 – वामपंथी पार्टियों द्वारा UPA-1 सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विश्वास मत के लिए लोकसभा का विशेष सत्र.
6. 26 अगस्त, 1997 से 1 सितंबर, 1997 तक – भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विशेष सत्र.
7. 3 जून, 1991 से 4 जून, 1991 तक – अनुच्छेद 356(3) के प्रावधान के तहत हरियाणा में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी के लिए राज्य सभा का दो दिनों का (158वां सत्र) विशेष सत्र.
8. 28 फ़रवरी, 1977 से 1 मार्च, 1997 तक – अनुच्छेद 356(4) के दूसरे प्रावधान के तहत तमिलनाडु और नागालैंड में राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए दो दिनों का राज्यसभा का विशेष सत्र.”
आज 13 सितंबर है। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज से पांच दिन बाद शुरू होगा। सिर्फ़ एक व्यक्ति (शायद वो दूसरे को भी) को छोड़कर किसी को भी इस विशेष सत्र के एजेंडे की जानकारी नहीं है। पिछले प्रत्येक अवसर पर, जब विशेष सत्र या विशेष बैठकें आयोजित की जाती थीं, तो कार्य सूची पहले से…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 13, 2023
वहीं टीएमसी नेता और सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी सरकार पर तंज कसते हुए एक्स पर पोस्ट किया था, “#SpecialParliamentSession शुरू होने में दो कार्य दिवस शेष हैं और अभी भी एजेंडे पर एक शब्द भी नहीं है. केवल दो लोग जानते हैं! और हम अभी भी खुद को संसदीय लोकतंत्र कहते हैं.”
TWO working days to go before the #SpecialParliamentSession begins and still not a word on the agenda
Only TWO people know! And we still call ourselves a parliamentary democracy
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 13, 2023
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