2022 तक हर भारतीय के पास होगा अपना घर, काला धन वापस लाएंगे, हर खाते में 15 लाख आएंगे, हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा, 100 स्मार्ट सिटी बनेगी, बुलेट ट्रेन चलेगी, 24 घंटे बिजली मिलेगी, किसानों की आय दोगुनी होगी, 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था होगी. ये कुछ वादे हैं जिन्हें कांग्रेस ने 26 मई यानी मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर उन्हें याद दिलाए हैं. दरअसल कांग्रेस इसे बीजेपी की नाकामी के 9 साल बता रही है. इस मौके पर कांग्रेस ने 9 ऐसे सवाल पूछे हैं जिन्हें देख कर लगता है कि कांग्रेस ने विपक्ष की ओर से 2024 का एजेंडा सेट कर दिया है.
मोदी सरकार ने नहीं मनाया 9 साल पूरे होने का जश्न
26 मई को मोदी सरकार ने केंद्र की सत्ता में अपने 9 साल पूरे कर लिये. इन 9 सालों का जश्न 26 को तो नहीं मनाया गया पर बताया जा रहा है कि आगे सरकार जश्न मनाएगी और उसमें अपने काम का प्रचार भी करेगी. लेकिन इससे पहले कांग्रेस ने मोदी सरकार के 9 सालों के शासन काल को नाकामी के साल बता कर पीएम मोदी से 9 सवाल पूछे हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हमने मोदी सरकार से 9 सवाल पूछे हैं, जिन पर PM मोदी चुप हैं.
9 साल 9 सवाल, कांग्रेस का बीजेपी पर वार
तो चलिए पहले जान लेते हैं कांग्रेस के उन सवालों को जो एक तरह से 2024 चुनाव का एजेंडा सा है.
1. ऐसा क्यों है कि देश में महंगाई और बेरोजगारी आसमान छू रही है? देश की सार्वजनिक संपत्ति आप अपने मित्रों को क्यों बेच रहे हैं?
2. किसानों की आय दोगुनी क्यों नहीं हुई? किसानों के लिए एमएसपी कानून क्यों नहीं बना?
3. अदानी को फायदा पहुंचाने के लिए एलआईसी और एसबीआई में जमा आम लोगों का पैसा क्यों लगाया गया है? अदानी की कंपनी में 20 हजार करोड़ रुपया किसका है? पीएम जवाब क्यों नहीं देते?
4. चीन को लाल आंख दिखाने की बात करने वाले पीएम ने चीन को क्लीन चिट क्यों दी जबकि वो हमारी जमीन पर कब्जा कर बैठा है?
5. पीएम बताएं कि चुनावी फायदे के लिए बंटवारे की राजनीति का उपयोग किया जा रहा है और समाज में डर का माहौल बनाया जा रहा है?
6. पीएम महिला, दलित, अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार पर चुप क्यों रहते हैं? पीएम जातीय जनगणना की मांग पर चुप क्यों हैं?
7. संवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को क्यों कमजोर किया जा रहा है? विपक्षी नेताओं को और सरकारों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?
8. मनरेगा जैसी योजना को क्यों कमजोर किया जा रहा है?
9. कोरोना में कुप्रबंध के कारण जिन 40 लाख लोगों की जान गई उनके परिवार को न्याय क्यों नहीं मिला?
अपना बचाव करने मैदान में नहीं उतरी मोदी सरकार
वैसे संसद भवन के उद्घाटन की तैयारियों में लगी मोदी सरकार ने तो कांग्रेस के सवालों के जवाब नहीं दिए लेकिन बीजेपी की तरफ से रवि शंकर प्रसाद को मैदान में उतारा गया. रविशंकर प्रसाद को सरकार का बचाव करना था लेकिन वो जयराम रमेश की भाषा और कोरोना वारियर्स का अपमान न करने को कह कर चलते बने.
यानी कांग्रेस ने जहां मोदी सरकार को घेरने के लिए तैयारी तगड़ी की थी वहीं बीजेपी का बचाव कमज़ोर नज़र आया और साथ ही ये भी साफ हो गया कि सरकार अपने काम पर नहीं, देश के गौरव के नाम पर 2024 का चुनाव लड़ने की तैयारी में है. बीजेपी जो अपनी योजनाओं और जनकल्याणकारी नीतियों के प्रचार प्रसार पर करोड़ों खर्च करती रही है. जिस सरकार की छोटी से छोटी उपलब्धि या तो खुद मीडिया की सुर्खियां बन जाती या फिर वो विज्ञापन के जरिए अखबारों के पहले पन्ने को ही अपने नाम कर लेती है उसने 26 मई को जब उसके सरकार के 9 साल पूरे हुए तो ना ही इवेंट ऑर्गनाइजर किया ना विज्ञापन पर पैसा लगाया.
2024 के चुनाव में मोदी के बनाम विकास होगा मुकाबला
तो क्या इसका मतलब साफ है कि विकास, रोजगार, महंगाई इन मुद्दों पर बीजेपी ने हार मान ली है. उसका 2024 का एजेंडा होगा राम मंदिर का उद्घाटन, संसद का उद्घाटन, हिंदू परंपराओं और धर्म की पैरोकार बन कांग्रेस को हिंदू विरोधी साबित करना, विदेशों में मोदी जी का सम्मान और लाभार्थियों पर भरोसा होगा. चर्चा तो ये भी हो रही है कि सरकार महंगे तेल बेचकर जो पैसा कमा रही है उसे 2024 से पहले बेरोज़गारी भत्ते के रुप में देकर चुनाव जीतने की कोशिश होगी.
कांग्रेस भ्रष्टाचार, विकास और रोज़गार को बनाएगी मुद्दा
दूसरी तरफ कांग्रेस और उसके नेतृत्व में विपक्ष भ्रष्टाचार जिसमें अडानी और दूसरे उन व्यापारियों को शामिल किया जाएगा जो बैंकों का पैसा लेकर विदेश भाग गए हैं, बेरोज़गारी, महंगाई, देश की सुरक्षा जिसमें चाइना के लद्दाख में ज़मीन कब्जा का मुद्दा शामिल है. जाति जनगणना, संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करने पर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार उसी एजेंडे का एक हिस्सा है. इसके अलावा कांग्रेस ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल समेत, विपक्षी एकता और विपक्षी वोटों को एकजुट करने जैसे मुद्दों को 2024 के लिए सेट करने में लगी है. यानी मतलब साफ है 2024 के लिए बीजेपी जहां भावनात्मक और हिंदुत्व के मुद्दों पर जोर देगी वहीं कांग्रेस 2019 की गलती न दोहराते हुए सॉफ्ट हिंदुत्व के जाल में फंसने के बजाए विकास, रोजगार और महंगाई पर ध्यान लगाए रहेगी.
भावनाओं के नाम या फिर जेब और पेट के सवाल पर वोट देगी जनता
मतलब ये कि 2024 में मतदाताओं के सामने चुनाव के लिए एक तरफ जहां हिंदुत्व और मोदी होंगे वहीं दूसरी तरफ रोजगार, विकास और महंगाई की मार के खिलाफ एकजुट विपक्ष होगा. फैसला जनता को करना होगा कि वो भावना में बहना चाहेगी या अपनी जेब और पेट के सवाल पर वोट डालने जाएगी.
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