मणिपुर को जलते हुए 60 दिन हो गए अबतक ये ही समझा जा रहा था कि मणिपुर की समस्या वहां के दो समुदायों की समस्या है. मणिपुर जल रहा है क्योंकि आदिवासी समुदाय नहीं चाहता कि उनके पहाड़ों पर इंफाल में बसे मैतई समुदाय के लोग आए और इंफाल की तरह पहाड़ भी उनके हाथ से निकल जाए. हलांकि अब मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इस समस्या को एक नया ही रंग दे दिया है. उन्हें इस घटना में विदेशी साजिश की आशंका सता रही है.
एन बीरेन सिंह ने विदेशी साजिश की आशंका जताई
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के मुताबिक “मणिपुर म्यांमार के साथ पड़ोसी है और चीन भी पास में है. हमारे पास 398 किलोमीटर लंबी बिना सुरक्षा वाली सीमा है. भारतीय सुरक्षा बल हमारी सुरक्षा कर रहे हैं लेकिन वे संभवत: हर चीज को कवर नहीं कर सकते. कोई भी कल्पना कर सकता है कि वहां क्या हो सकता है. अब क्या हो रहा है, हम इसमें अंतरराष्ट्रीय हाथ से इनकार या पुष्टि नहीं कर सकते.’ उन्होंने कहा, ‘यह पूर्व नियोजित लगता है लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं है.’
अमित शाह ने कहा था हिंसा क पीछे हाईकोर्ट का आदेश
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मणिपुर की हिंसा में विदेशी साजिश की बात कहकर भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है. अब तक मणिपुर बीजेपी के नेता और केंद्र सरकार में शामिल मंत्री इसे मणिपुर की पिछली सरकारों और कांग्रेस पार्टी को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे. यहां तक कि खुद गृहमंत्री ने इसके लिए हाईकोर्ट के फैसले को जिम्मेदार बताया था. लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद मामला बेहद संवेदनशील हो जाता है. अगर मुख्यमंत्री को लगता है कि असल में ये एक सुनियोजित साजिश है और इसमें विदेशी हाथ शामिल है तो क्या उन्होंने इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी. अगर दी तो गृहमंत्री अमित शाह जो हिंसा फैलने के तकरीबन एक महीने बाद मणिपुर आए थे उन्होंने इसका जिक्र क्यों नहीं किया. सवाल ये भी है कि फिर हाल में हुई सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री ने इस बात की जानकारी विपक्ष के साथ साझा क्यों नहीं की.
म्यांमार से आए शरणार्थियों पर क्या बोले बीरेन सिंह
इतना ही नहीं बीरेन सिंह ने हाल में म्यांमार से जान बचा कर मणिपुर, मेघालय और दूसरे उत्तर पूर्व के सीमावर्ती इलाकों में आए शरणार्थियों के बारे में कहा कि, ‘म्यांमार में अशांति के मद्देनजर सरकार बाहर से आने वाले लोगों की जांच करने की कोशिश कर रही है. मणिपुर में सौहार्द की बात करते हुए एन बीरेन सिंह ने यह भी कहा, “हमें बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि बाहर से ज्यादा लोग यहां आकर न बस जाएं. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई जनसांख्यिकीय असंतुलन न हो.”
हाईकोर्ट के आदेश पर अभी फैसला नहीं लिया-एन बीरेन सिंह
बीरेन सिंह ने हिंसा के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हाईकोर्ट के आदेश पर कहा कि “उच्च न्यायालय ने हमारी सरकार से इस सवाल पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा था कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं. मैंने कहा था कि आम सहमति महत्वपूर्ण है… इससे पहले कि हम कोई निर्णय ले सकें, तभी हिंसा शुरू हो गई. उन्होंने कहा कि ‘मेरी सरकार ने अभी भी सिफारिश नहीं की है कि मैतेई को एसटी सूची में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं’
क्या मुख्यमंत्री मसले को उलझा रहे हैं
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की इन बातों से ये साफ है कि अभी मणिपुर की आग शांत होने वाली नहीं है. सरकार मैतेई समुदाय को लेकर जो भी सिफारिश करे उसका विरोध या तो मैतेई या फिर कुकी समुदाय की ओर से होना तय है. ऐसे में बाहर से आए लोगों और विदेशी हाथ की बात कर मुख्यमंत्री चीज़ों को उलझा ही रहे हैं.
एन बीरेन सिंह के बयान पर कब स्थिति साफ करेगा केंद्र
मणिपुर हिंसा में विदेशी हाथ वाले मुख्यमंत्री के बयान पर तो केंद्र को जल्द से जल्द स्थिति साफ करनी चाहिए क्योंकि अगर मामला देश की सुरक्षा का है तो उसपर सरकार का फर्ज है कि वो जनता के सामने खुलकर अपनी बात रखे. पहले ही लेह-लद्दाख में चीनी आक्रमण और जमीन कब्जाए जाने को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के सवालों के घेरे में है ऐसे में अगर पूर्वोत्तर राज्यों में भी सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं तो ये गंभीर मसला है.
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