हर-हर मोदी, घर-घर मोदी, मोदी है तो मुमकिन है, नमो-नमो….के नाम पर चुनाव जीतने वाली बीजेपी में क्या मोदी का मैजिक मणिपुर के बाद खत्म होने लगा है. एक तरफ जहां आगामी पांच राज्यों में बीजेपी मुख्यमंत्री के चेहरे पर नहीं मोदी के चेहरे पर वोट मांगने की तैयारी में है वहीं बीजेपी का एक सहयोगी, एनडीए का साथी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करने से घबरा रहा है. उसका कहना है कि पीएम के साथ मंच साझा करने से उसे चुनावों में नुकसान होगा.
क्या पीएम करेंगे मिजोरम में चुनाव प्रचार
3 दिसंबर को पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के नतीजे क्या होंगे इसका तो पता नहीं लेकिन ये तय है कि इन राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान ही बीजेपी को बड़े-बड़े झटके लग रहे हैं. एक तरफ जहां कांग्रेस पांचों राज्य में जीत का दावा कर रही है वहीं बीजेपी और दूसरे मीडिया हाउस के सर्वे भी बीजेपी को निराश कर रहे हैं. राजस्थान के अलावा बाकी किसी राज्य में जीत की गुंजाइश बनती नहीं दिख रही है. अब तो सवाल ये पूछा जा रहा है कि क्या मिजोरम चुनाव में पीएम प्रचार करने जाएंगे भी कि नहीं.
ज़ोरमथांगा ने पीएम के साथ मंच साझा करने से किया इनकार
दरअसल मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने कहा है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने यहां आएंगे तो वह उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा कि “मिज़ोरम के सभी लोग ईसाई हैं. जब मणिपुर (मितई) के लोगों ने मणिपुर में सैकड़ों चर्च जलाए, तो वे (मिज़ोस) इस तरह के विचार के पूरी तरह से खिलाफ थे. इस समय बीजेपी के साथ सहानुभूति रखना मेरी पार्टी के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट होगा,’ .उन्होंने ये भी कहा कि, “बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री अकेले आएं और वह खुद मंच साझा करें और मैं अलग से मंच संभालूं.”
म्यांमार, बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों को लेकर भी दिया बयान
इतना ही नहीं ज़ोरमथांगा ने कहा कि मणिपुर में शांति बहाल करना केंद्र की ज़िम्मेदारी है ताकि लोग अपने मूल राज्य वापस जा सकें. आपको बता दें, ज़ोरमथांगा का एमएनएफ-बीजेपी के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का हिस्सा है और केंद्र में एनडीए के सहयोगी भी.
इतना हीं नहीं मिजोरम के मुख्यमंत्री ने म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के लोगों को शरण देने पर कहा कि मिजोरम सरकार केंद्र के नक्शे कदम पर चल रही है. हम उन्हें मानवीय आधार पर भोजन और आश्रय देते हैं. यानी बीजेपी जो म्यांमार, बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों के खिलाफ दिल्ली में सीएए जैसे कानून बनाने की राजनीति करती है उसका सहयोगी मिजोरम इन लोगों को शरण देने के पक्ष में है.
यानी मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए जो 7 नवंबर को मतदान होना है उसमें बीजेपी की जीत की उम्मीद न के बराबर है.
क्या मोदी का मैजिक उलटा पड़ने लगा है
ज़ोरमथांगा का बयान इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने बीजेपी को नहीं प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही सीधा निशाना साधा है. तो क्या सच में मणिपुर घटना के बाद पीएम की पॉपुलैरिटी घटी है और पीएम का चेहरा बीजेपी के लिए अब वोट की गारंटी नहीं रह गया है. हिमाचल और कर्नाटक की हार के बाद तो ये चर्चा आम थी कि मोदी मैजिक फीका पड़ गया है लेकिन मिजोरम के मुख्यमंत्री के बयान के बाद तो ऐसा लगता है कि मैजिक फीका नहीं उलटा पड़ने लगा है.
ये भी पढ़ें- NCERT syllabus: NCERT पैनल ने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ से बदलने की सिफारिश की है