भारतीय जनता पार्टी ने 195 सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. भाजपा ने इस बार कई नए चेहरों को शामिल किया है. इसमें एक नाम है श्रावस्ती सीट से उतारे गए 53 साल के साकेत मिश्रा का.
BJP candidate Saket Mishra कौन हैं ?
साकेत मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं. बता दें कि श्रावस्ती सीट पर पिछली बार भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में इस सीट पर भाजपा का यह दांव कितना कारगर होगा यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा.Saket Mishra फिलहाल उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में BJP के सदस्य हैं.उनके पिता नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के IAS अधिकारी थे. इसके बाद वह वर्तमान में अयोध्या राम मंदिर न्यास के अध्यक्ष भी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अच्छे संबंध रहे हैं. माना जा रहा है कि पिता के विश्वास ने बेटे को लोकसभा का टिकट दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है .
दिल्ली के सेंट स्टिफेंस कालेज के छात्र रहे हैं साकेत मिश्रा
आपको बता दें कि नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने कोलकाता से भारतीय प्रबंध संस्थान से मैनेजमेंट की पढ़ाई की. उन्होंने बैंक में नौकरी की लेकिन सिविल सर्विस पर अपनी पकड़ बनाये रखने के के लिए एक महीने में ही जॉब छोड़ दिया.इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस की भी परीक्षा निकाली और आईपीएस बन गए, लेकिन उनका मन इन्वेस्टमेंट सेक्टर में लगा था इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और विदेश चले गए. 18 साल तक उन्होंने वैश्विक स्तर के बड़े बैंकों के लिए काम किया फिर भारत आकर समाज सेवा करने का फैसला किया.
यूपी के श्रावस्ती से पारिवारिक रिश्ता
यूपी का श्रावस्ती सीट साकेत मिश्रा के लिए घरेलू मौदान की तरह है. यहीं उनका ननिहाल है. उनके नाना बदलू राम शुक्ला बहराइच से पांच बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं. साकेत मिश्रा यहां भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं. 2018 में वह बीजेपी में शामिल हुए थे और इसके बाद उन्हें पूर्वांचल विकास बोर्ड का सलाहकार नियुक्त किया गया. उन्हें 27 जिलों के विकास की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके अलावा वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स में सहायक फैकल्टी भी हैं.
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बता दें कि श्रावस्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि है. धार्मिक लिहाज से भी श्रावस्ती लोगो के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है. यहां हर साल नेपाल, श्रीलंका, जापान, चीन और थाईलैंड से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह भगवान बुद्ध की तपोस्थली है.
माफिया अतीक अहमद ने भी इस सीट पर किस्मत आजमाई थी लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था. 2009 में यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की. 2014 में भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्रा अतीक अहमद को हराकर लोकसभा पहुंचे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीएसपी प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा के सामने हार का सामना करना पड़ा था.