Friday, November 8, 2024

AstraZeneca Covishield : वैक्सीन को लेकर बढ़ी बीजेपी-पीएम मोदी की मुश्किलें, ब्रिटिश कोर्ट में एस्ट्राजेनेका के कबूलनामे का क्या होगा चुनाव पर असर?

AstraZeneca Covishield :  Lok Sabha Election 2024 के बीच बीजेपी के लिए एक और बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. कोरोना के दौरान जिस वैक्सीन को फ्री लगवाने का श्रेय देकर प्रधानमंत्री मोदी को देश का सबसे महान नेता बताने का काम उनकी पार्टी और सहयोगी कर रहे थे अब इस वैक्सीन से जुड़ी एक ऐसी खबर सामने आई है जिससे वैक्सीन लगाने वालों की चिंता बढ़ गई है.

खबर है कि ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार कोर्ट में मान लिया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं. एस्ट्राजेनेका कंपनी की इस वैक्सीन को हम भारत में कोविशील्ड के नाम से जानते हैं. एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया था. ब्रिटेन में कई परिवारों ने वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट होने का आरोप लगाने के बाद वहां कानूनी लड़ाई जारी है.

AstraZeneca Covishield के साइड इफेक्ट पर क्या हुए है खुलासा?

इसी केस में कोर्ट में जमा दस्तावेजों को खंगाल कर ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में  बताया गया है कि एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी में ही कोर्ट में डॉक्यूमेंट जमा कर पहली बार ये बात मान ली है कि इसकी कोविड वैक्सीन से कुछ मामलों में TTS हो सकता है. इससे पहले, मई 2023 में एस्ट्राजेनेका ने कहा था कि वैक्सीन के कारण सामान्य तौर पर TTS होने की बात को वो नहीं स्वीकारता है. हालांकि अब कंपनी कह रही है कि कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा हो सकता है. जिसमें ब्लड क्लॉटिंग और लो प्लेटलेट्स के मामले सामने आ सकते हैं

असल में जब एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन लगनी शुरू हुई थी, तब भी इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर खूब विवाद हुआ था. जिस तेजी से ये वैक्सीन तैयार की गई उसपर वैज्ञानिकों ने तभी सवाल उठाए थे. हालांकि तब कंपनी ने कहा था कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले थे. बताया गया था कि वैक्सीन लगने के बाद कुछ सामान्य लक्षण जैसे थकान, गले में दर्द और हल्का बुखार देखने को मिल है लेकिन किसी की मौत या गंभीर बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया. हलांकि बाद में 2021 में कई देशों ने इसपर बैन लगा दिया था.वैक्सीन पर बैन लगाने वालों में डेनमार्क पहला देश था.

भारत ने कमाया था वैक्सीन निर्माण कर बड़ा नाम

भारत में इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने किया था. मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही SII ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था. सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है. केंद्र की मोदी सरकार ने कोविड-19 के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट को वैक्सीन बनाने का एकाधिकार दिया था. भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशील्ड की ही लगाई गई है. खुद पीएम मोदी नवंबर 2020 में पूणे सिरम इस्टीट्यूट के दौरे पर गए थे.
देशवासियों को मिली फ्री वैक्सीन की याद दिला 2024 के चुनाव में भी बीजेपी के नेता वोट मांग रहे हैं लेकिन अब ब्रिटेन से आई खबर के बाद ये मामला उल्टा भी पड़ सकता है.

बीजेपी ने लिए थे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 52 करोड़ के चुनावी बॉन्ड

चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद जो डाटा सामने आया था उसको लेकर रॉयटर्स न्यूज़ ने एक खबर छापी थी जिसमें बताया गया था कि कोविशील्ड वैक्सीन जारी करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ने चुनावी बांड के जरिए बीजेपी को 52 करोड़ रुपये का दान दिया था. कहा जा रहा है कि केंद्र ने कोविड-19 के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट को वैक्सीन बनाने का एकाधिकार दिया था और बदले में सीरम इंस्टीट्यूट ने बीजेपी को 52 करोड़ रुपये का चंदा दिया था.
यानी कुल मिला कर कहें तो सीरम इंस्टीट्यूट से चंदा लेकर न सिर्फ उन्हें वैक्सीन बनाने का एकाधिकार दिया गया था बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों ने उसके वितरण को लेकर भी मदद की थी. लगातार बीजेपी वैक्सीन लगाने को अपनी बड़ी उपलब्धि भी बताती रही है. ऐसे में वैक्सीन से मौतों को लेकर हुए खुलासे के बाद पीएम मोदी और बीजेपी के लिए इसपर जवाब देना मुश्किल हो सकता है.

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