Friday, November 22, 2024

WFI membership suspended: भारतीय पहलवान अब विश्व चैंपियनशिप में भारत के झंडे तले नहीं खेल सकेंगे

बुधवार से जहां देश चांद पर तिरंगे लहराने की खुशी मना रहा है वहीं गुरुवार को खबर आई है कि अब भारतीय पहलवान विश्व चैंपियनशिप में भारतीय झंडे के तले नहीं खेल पाएंगे. भारतीय कुश्ती संघ के चुनावों में देरी के कारण विश्व महासंघ ने डब्ल्यूएफआई की सदस्यता निलंबित कर दी.

विश्व महासंघ ने डब्ल्यूएफआई की सदस्यता निलंबित की

कुश्ती की विश्व नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को अपने चुनाव समय पर नहीं कराने के लिए निलंबित कर दिया है, इसके बाद अब भारतीय पहलवानों को आगामी विश्व चैंपियनशिप में भारतीय झंडा के तले प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

45 दिन की समय सीमा खत्म होने पर उठाया कदम

डब्ल्यूएफआई के निलंबन का मतलब ये है कि भारतीय पहलवानों को 16 सितंबर से शुरू होने वाली ओलंपिक-क्वालीफाइंग विश्व चैंपियनशिप में ‘तटस्थ एथलीटों’ के रूप में प्रतिस्पर्धा करनी होगी क्योंकि भूपेंदर सिंह बाजवा के नेतृत्व वाले तदर्थ पैनल ने चुनाव आयोजित करने के लिए 45 दिन की समय सीमा का सम्मान नहीं किया.
IOA ने बाजवा के पैनल को 27 अप्रैल को नियुक्त किया था और समिति को 45 दिनों के भीतर चुनाव कराने थे.

28 अप्रैल को चेतावनी दी थी चेतावनी

यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने 28 अप्रैल को चेतावनी दी थी कि अगर चुनाव कराने की समय सीमा का सम्मान नहीं किया गया तो वह भारतीय महासंघ को निलंबित कर सकता है. आईओए के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, “यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने बुधवार रात तदर्थ पैनल को सूचित किया कि डब्ल्यूएफआई को उसकी कार्यकारी समिति के चुनाव नहीं कराने के कारण निलंबित कर दिया गया है.”

क्यों हुई चुनाव में देरी

इस साल जनवरी से ही भारतीय कुश्ती संघ सुर्खियों में है. देश के नामी जिन्मे ओलंपियन भी शामिल थे पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और इंसाफ की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए थे. इसके बाद खेल मंत्रालय ने एक जांच कमेटी का गठन किया था. लेकिन कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही नाराज़ पहलवान फिर एक बार मई में जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गए थे. इस पूरे घटनाक्रम पर यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग संस्था की नज़र बनी हुई थी.
इस पूरे विवाद के चलते पहले जनवरी फिर मई और फिर अगस्त में डब्ल्यूएफआई के चुनाव को खेल मंत्रालय ने अमान्य घोषित कर दिया था.
इसके साथ ही चुनाव में कई बार देरी हुई है क्योंकि कई असंतुष्ट और असंबद्ध राज्य निकाय चुनावों में भाग लेने का अधिकार मांगने के लिए अदालत में चले गए हैं.

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