Friday, November 8, 2024

विनेश फोगाट खुद नहीं चाहती थी कि हम फैसले के खिलाफ अपील करें- वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे का दावा

Vinesh Phogat Harish Salve : अंतराष्ट्रीय कोर्ट में अपनी दलील से विरोधियों के पसीने छुड़ा देने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने रेसलर विनेश फोगाट को लेकर एक बड़ा दावा किया है. एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में साल्वे ने कहा कि विनेश फोगाट खुद नहीं चाहती थीं कि उनके मेडल को लेकर खेल पंचाट में दिये गये फैसले के खिलाफ हम चुनौती दें.

Vinesh Phogat ने कहा उन्हें समय पर नहीं मिली मदद 

विनेश फोगाट जब से हरियाणा से राजनीति के मैदान में उतरी है, तब से उनके ओलंपिक मेडल से जुड़े मामले को लेकर एक के बाद एक दावे हो रहे हैं. पहले तो खुद विनेश फोगाट ने भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा को लेकर कहा था कि उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ की तऱफ से कोई मदद नहीं मिली . पीटी उषा अस्पताल में आई, फोटो खिंचवाया और चली गई.

हरिश साल्वे की बयान से मचा बवाल 

विनेश फोगाट के इस बयान के बाद अब जाने माने वकील हरिश साल्वे ने विनेश फोगाट को लेकर बयान दिया है. साल्वे ने दावा किया कि खुद विनेश फोगाट  ओलंपिक संघ द्वारा उनके सिल्वर मेडल को लेकर दिये गये फैसले के खिलाफ अपील करना नहीं चहती थी.

हरीश साल्वे का ये बयान विनेश के उसी बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने  पीटी उषा को लेकर कहा था कि उनको जब फाइनल के ठीक पहले अयोग्य घोषित किया तब भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की तरफ से कोई सपोर्ट नहीं मिला. विनेश फोगाट ने अपने इंटरव्यू कहा था कि हमारे वकील ओलंपिक संघ के फैसले को लेकर पहले से ही उदार दिखाई दे रहे थे. यही कारण था कि उन्हें (विनेश फोगाट) को  गोल्ड मेडल के लिए खेलने और रजत पदक जीतने के बाद भी उनका मेडल नहीं मिल सका .

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हालांकि भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और विनेश फोगाट की तरफ से ओलंपिक संघ के फैसले के खिलाफ अपील की गई थी. विनेश फोगाट के मामले में हरीश साल्वे ने ही भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था. हरीश साल्वे के सभी दलीलों को ओलंपिक संघ ने नकार दिया और विनेश फोगाट को बिना पदक ही ओलंपिक से वापस लौटना पड़ा.

‘स्विस अदालत जाने में अपील के लिए तैयार नहीं हुई विनेश’- हरीश साल्वे

हरीश साल्वे ने टीवी चैनल टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमारे कहने के बाद भी विनेश फोगाट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) के फैसले को चेलेंज नहीं करना चाहती थीं, जबकि उस समय हमारे पास अपील में  देने के लायक सभी दस्तावेज और जानकारी मिल गये थे. हमने इस मामले को लेकर कड़ा संघर्ष किया लेकिन हमारी अपील  खारिज कर दी गई. हरीश साल्वे ने कहा कि हमने उन्हें (विनेश फोगाट को) ये भी बताया कि हम मध्यस्थता पुरस्कार के खिलाफ फैसले को स्विस अदालत में चुनौती दे सकते हैं लेकिन उन्होंने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. बाद में उन्हीं के वकीलों नें बताया कि वो इस मामले को आगे नहीं ले जाना चाहती थीं.

विनेश के वकीलों ने हमारे साथ जानकारी साझा नहीं किया- हरीश साल्वे

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने  विनेश फोगाट के वकीलों में तालमेल की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ के द्वारा नियुक्त की गई एक लॉ फर्म के वकीलों को कहा गया कि हम आपके साथ कुछ भी जानकारी साझा नहीं करेंगे.

आपको बता दें कि 30 साल की भारतीय पहलवान विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक 2024 में उस समय अयोग्य घोषित कर दिया गया जब वो फाइनल खेलने के लिए जाने वाली थी.  उनका वजन तय सीमा 50 किलोग्राम  से 100 ग्राम अधिक निकला था. 100 ग्राम वजन के कारण सिल्वर मेडल जीतने वाली भारतीय रेसलर को अयोग्य ठहराकर फाइनल खेलन से रोक दिया गया. मामला आगे बढने के बाद विनेश फोगाट ने अंतराष्ट्रीय रेसलिंग से संन्यास लेने तक का ऐलान कर दिया.

कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई विनेश फोगाट

भारत आकर विनेश कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं और अब हरियाणा के जिंद जिले के जुलाना सीट से  कांग्रेस की प्रत्याशी हैं. इस दौरान एक इंटरव्यू में विनेश ने पीटी उषा को लेकर बयान दिया जिसपर अब हरीश साल्वे सफाई दे रहे हैं और पेरिस ओलंपिक में भारत के हाथ से एक सिल्वर मेडल छूटने पर अपना पक्ष रख रहे हैं.

क्या सचमुच विनेश के कारण भारत को नहीं मिला सिल्वर मेडल ?

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने जो इंटरव्यू में कहा उसके मुताबिक विनेश फोगाट ही वो हैं जिनके कारण भारत के हाथ में आने वाला सिल्वर मेडल भी छूट गया. इसके लिए विनेश फोगाट ही जिम्मेदार है लेकिन सवाल ये है क्या वाकई में ऐसा हो सकता है ?

ओलंपिक में खेलने जाने वाला खिलाड़ी अपने देश का प्रतिनिधि होता है. इंडिविजुअल खेलने के बाबजूद वो एक देश का खिलाड़ी होता है. ऐसे में खिलाड़ी के खेल संबंधित हर मामले की जिम्मेदारी देश के ओलंपिक संघ की होती है. अगर विनेश फोगाट चाहे तब भी वो ओलंपिक संघ को कानूनी लड़ाई लड़ने से रोक नहीं सकती थी.एक खिलाड़ी अपने देश के ओलंपिक संघ के आदेश के बाहर कोई फैसला नहीं कर सकता है. ऐसे में हरीश साल्वे का ये कहना कि विनेश फोगाट ही नहीं चाहती थी… ये हैरान करने वाला है .

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