नई दिल्ली CHANDRYAAN 3 का विक्रम रोबर प्रज्ञान (Pragan Rover) अगले 14 दिन के लिए स्लिपिंग मोड में चला गया है. स्लिपिंग मोड में जाने से पहले प्रज्ञान Pragan Rover 2 सप्ताह तक चंद्रमा की सतह पर चक्कर लगाता रहा. भारतीय अंतरिक्ष केंद्र इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक Pragan Rover ने अपना पहले चरण का कम पूरा कर लिया था. पहले चरण में प्रागन रोवर Pragan Rover चंद्रमा के ऊपर 100 मीटर से अधिक की दूरी तय की है . अब चूंकि वहां पर सूर्य की रौशनी अगले 14 दिन नहीं रहेगी इसलिए रोबर प्रज्ञान Pragan Rover को एक बार फिर से विक्रम के अंदर भेज दिया गया है. रोबर प्रज्ञान Pragan Rover अगले 14 दिन विक्रम के अंदर स्लिपिंग मोड में ही रहेगा ताकि इंधन की कमी के कारण उसे कोई नुकसान ना हो.
Chandrayaan-3 Mission:
The Rover completed its assignments.It is now safely parked and set into Sleep mode.
APXS and LIBS payloads are turned off.
Data from these payloads is transmitted to the Earth via the Lander.Currently, the battery is fully charged.
The solar panel is…— ISRO (@isro) September 2, 2023
आपको बता दें कि चंद्रमा की एक रात धरती के 15 दिन के बराबर होती है. ऐसे में सूर्य की रौशनी ना होने पर विक्रम लैंडर का सोलर पैनल चार्ज नहीं हो पायेगा. उर्जा की कमी कारण प्रज्ञान काम नहीं कर पायेगा. आइये आपको बताते है कि जब प्रज्ञान 15 दिन के बाद विक्रम से बाहर आयेगा तो फिर क्या क्या काम करेगा. इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि असाइनमेंट के दूसरे सेट के लिए विक्रम और रोबर ठीक रहेगा और एक बाऱ फिर से काम कर सकेगा. (अगर दुर्भाग्यवाश ऐसा नहीं भी होता है तो ) अन्यथा, यह हमेशा भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा.
स्लिपिंग मोड से बाहर आने के बाद Pragan Rover का टास्क
चंद्रयान मिशन 3 के चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने के बाद रोबर Pragyan ने कई महत्वपूर्व खोज की है. 14 दिन तक चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करन के बाद प्रज्ञान ने जिन चीजों की खोज की है उनमें सबसे बड़ी खोज को ढूंढना है. सल्फर की खोज की जो एक बड़ी खोज है. इसके अलावा भी कई खनिजों की खोज हुई है. इसरो के मुताबिक अब जब प्रज्ञान बाहर आयेगा तो उसका काम सतह पर हाइड्रोजन की खोज करना होगा. वर्तमान समय में रोबर की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है. चंद्रमा पर अब 22 सितंबर को सूर्य निकलने का समय है. तय समय पर सूर्य की रौशनी आने के बाद रोबर प्रज्ञान एक बार फिर से काम कर सकेगा.
रात में काम क्यों नही करता है Pragan Rover ?
पृथ्वी पर रहने वालों के लिए ये आश्चर्य की बात हो सकती है कि आखिर चंद्रमा पर रात के समय काम क्यों नहीं किया जा सकता है ? वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रमा पर दिन के समय जब सूर्य की रौशनी मौजूद होती है उस सयम वहां का तापमान करीब 100 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, वहीं सूरज के छिपने के बाद वहां का तापमान करीब माइनस 250 से माइनस 280 डिग्री तक पहुंच जाता है . इतनी ज्यादा ठंढ़ के कारण मशीन के खराब होने का खतरा बना रहता है इसलिए विक्रम लैंडर में ये व्यवस्था की गई है कि 14 दिन तक , जब तक सूर्य का प्रकाश चंद्रमा की सतह पर नहीं आ जाता है तब तक रोबर प्रज्ञान को विक्रम के अंदर ही रखा जायेगा.