मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में यूसीसी बिल पेश कर दिया गया. बिल पेश किए जाने को लेकर विधानसभा में नाटक और हंगामा देखने को मिला. विधानसभा में बिल पेश करने आते वक्त राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संविधान को सीने से लगाए रखा तो समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के दौरान विधानसभा के अंदर बीजेपी विधायकों ने “वंदे मातरम और जय श्री राम” के नारे लगाए गए.
अब कायदे से तो इस बिल पर चर्चा होगी और फिर इसे पास किया जाएगा. जिसके बाद इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजना होगा. जिनकी मंजूरी के बाद ही ये कानून बन पाएगा.
समान नहीं है समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024
चलिए आपको बताते है कि समान क्यों नहीं है उत्तराखंड सरकार का समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024. दरअसल इस बिल में साफ लिखा है कि ये शेड्यूल ट्राइब पर लागू नहीं होगा ये बिल. यानी बिल के दायरे से बाहर है अनुसूचित जनजाति.
विधेयक में लिखा गया है- “भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड (25), सहपठित अनुच्छे 342 के अंतर्गत निर्धारित किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों एवं ऐसे व्यक्तियों व व्यक्तियों के समूहों जिनके परंपरागत अधिकार भारत के संविधान के भाग 21 के अंतर्गत संरक्षित हैं, पर इस संहिता में अन्तर्विषट कोई प्रावधान लागू नहीं होगा.”
एक क्लिक में पढ़िए क्या है पूरा बिल-Uniform Civil Code Uttarakhand 2024
जानिए किसके लिए क्या बदला गया है
1- हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे. बहुविवाह गैरकानूनी बनाया गया है. यानी शादी के समय दोनों (दुल्हा-दुल्हन) में से किसी का साथी (पति या पत्नी )जिंदा न हो. मतलब मुसलमानों को भी 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी.
2- शादी अपने रीति रिवाज़ से कर सकते है. मुसलमानों में ‘निकाह’, सिखों में ‘आनंद कारज’, हिंदुओं में ‘अग्नि के सामने फेरा’ और ‘पवित्र’ ईसाइयों आदि में वैवाहिक रीति-रिवाज सभी की अपनी-अपनी धर्म और मान्यताओं के अनुसार होंगे
3- शादी की उम्र लड़के के लिए 21 और लड़की के लिए 18 होगी.
4- शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. शादी के 60 दिन के अंदर कराना होगा रजिस्ट्रेशन. उस केस में भी जब सिर्फ एक सदस्य(दुल्हा या दुल्हन) उत्तराखंड के रहने वाले हो.
5- लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर (रजिस्ट्रेशन) करना जरूरी है. माता-पिता को बताना होगा लिव इन के बारे में. लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी.
6- लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है.
7- इसी तरह 60 दिन के अंदर तलाक का भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा. पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक होगा. सभी धर्मों के लिए तलाक लेने का एक ही तरीका होगा.
8- महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है. हलाला और इद्दत (तलाक के बाद का 40 दिन का समय जिस वक्त महिला दूसरी शादी नहीं कर सकती) पर भी रोक होगी
9- पुत्र और पुत्री दोनों को संपाति पर समान अधिकार होगा. इसमें गोद लिया बच्चा भी शामिल है.
यूसीसी में क्या नहीं बदला
अगर बात ये करें की यूसीसी में क्या नहीं बदला तो इसके आने से धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. धार्मिक रीति-रिवाज पर भी इसका बहुत असर नहीं होगा. शादी पंडित या मौलवी ही कराएंगे. लेकिन रजिस्ट्रेशन ज़रुरी होगा. सभी लोग अपने खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा का अनुसरण कर सकते हैं.
जनसंख्या के हिसाब से किसकी कितनी है उत्तराखंड में आबादी
अगर बात उत्तराखंड की जनसंख्या में अलग-अलग धर्म और समुदायों की भागीदारी की करें तो उत्तराखंड में 82.97% हिन्दू जबकि मुसलमानों की आबादी 13.95 % है. वहीं उत्तराखंड में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 2.89% है जिन्हें इस यूसीसी बिल से बाहर रखा गया है. इसी तरह प्रदेश में इसाई 0.37% है, तो सिख 2.34%, बौद्ध 0.15 % और जैन 0.09% जबकि अन्य धर्म 0.1 % हैं. ये आकड़े साल 2011 की जनगणना के अनुसार हैं.
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