अमेरिका ने एक नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि भारत अमेरिकी सामानों- जैसे कृषि उत्पादों, दवा निर्माण (फॉर्मूलेशन) और मादक पेयों—पर ऊंचे टैरिफ लगाए हुए है। इसके अलावा, भारत द्वारा कई गैर-शुल्क बाधाएं (Non-Tariff Barriers) भी लागू की जा रही हैं, जिससे अमेरिकी निर्यात और निवेश प्रभावित हो रहे हैं। यह दावा अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) की ओर से 31 मार्च को जारी 2025 नेशनल ट्रेड एस्टीमेट (NTE) रिपोर्ट में किया गया है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 2 अप्रैल से प्रस्तावित ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ पॉलिसी लागू करने की तैयारी में हैं।
यह रिपोर्ट हर साल प्रकाशित होती है और उन देशों की प्रमुख नीतियों व प्रथाओं को सूचीबद्ध करती है जो अमेरिका के निर्यात, निवेश और डिजिटल व्यापार को प्रभावित करती हैं। रिपोर्ट में अमेरिका और भारत के बीच व्यापार और नियामकीय चुनौतियों को उजागर किया गया है जिनमें टैरिफ, नॉन-टैरिफ बाधाएं, बौद्धिक संपदा अधिकार, सेवाएं, डिजिटल व्यापार और पारदर्शिता से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। ट्रेड एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन मुद्दों में से अधिकांश पहले की रिपोर्ट्स में भी उठाए जा चुके हैं और इनमें से कुछ का समाधान भी हो चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत कई वस्तुओं पर ऊंचा एप्लाइड टैरिफ लगाए हुए है—जैसे कि वेजिटेबल ऑयल्स पर 45% तक, सेब, मक्का और मोटरसाइकिल पर 50%, ऑटोमोबाइल और फूलों पर 60%, नेचुरल रबर पर 70%, कॉफी, किशमिश और अखरोट पर 100% और मादक पेयों पर 150% तक शुल्क वसूला जा रहा है।”
भारत दवाओं पर भी “बहुत ऊंचे” बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाए हुए है, जिसमें जीवनरक्षक दवाएं और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल तैयार दवाएं भी शामिल हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “उच्च टैरिफ दरें अन्य कृषि उत्पादों और प्रोसेस्ड फूड (जैसे चिकन, आलू, साइट्रस फल, बादाम, सेब, अंगूर, टिन में बंद आड़ू, चॉकलेट, कुकीज़, फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज और फास्ट फूड रेस्टोरेंट्स में इस्तेमाल होने वाले अन्य तैयार खाद्य पदार्थों) के व्यापार में भी एक बड़ी बाधा हैं।”
भारत के कृषि उत्पादों पर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के तहत तय टैरिफ दरें दुनिया में “सबसे ऊंची” मानी जाती हैं—इनकी औसत दर 113.1% है, जो अधिकतम 300% तक जाती है।