TRUMP USAID : भारत में अमेरिका से यूएस एड के जरिये मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर आने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है . हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये बयान देकर भारत के माहौल को गर्म कर दिया था कि भारत में मतदान के बढ़ाने के लिए अमेरिका 21 मिलियन डॉलर क्यों खर्च करें. ट्रंप के इस बयान के बाद भारत में बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है. यहां तक की बीजेपी मीडिया की तरफ से कांग्रेस के सासंद राहुल गांधी पर देश के बाहर जाकर देश की छवि को खराब करने और देश को बदनाम करने का आरोप लग रहा है.
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TRUMP USAID को लेकर ‘इंडियन एक्प्रेस’ ने किया फैक्ट चेक
इस बीच डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान का इंडियन एक्सप्रेस ने फैक्टचेक किया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने फैक्ट चेक में पाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जिस यूसएड के जरिये भारत को 21 मिलियन डालर देने की बात कह रहे हैं, वो पैसा भारत को नहीं बल्कि बांग्लादेश को दिया गया था . रिपोर्ट के मुताबिक 21 मिलियन डॉलर में से 13.4 मिलियन डॉलर की राशि पहले ही राजनीतिक और सिविल मूवमेंट के लिए बांग्लादेश के छात्रों में बांटी जा चुकी है. ये पैसे बांग्लादेश में जनवरी 2024 में हुए चुनाव से पहले बांटे गए.
अमेरिकी राष्ट्रपति बार बार कह रहे हैं USAID की बात
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन में बने नये सरकारी दक्षता विभाग यानी DOGE के प्रभारी इलॉन मस्क ने 16 फरवरी को ऐलान किया था कि उसने विभिन्न परियोजनाओं के साथ-साथ भारत में वोटिंग को बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर की USAID फंडिंग को भी बंद कर दिया है. इसके बाद ट्रंप लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं और 24 घंटे में 2 बार इसका जिक्र कर चुके हैं. ट्रंप ने गुरुवार को एक बार फिर इसे लेकर बयान दिया और कहा कि “भारत में वोटिंग के लिए 21 मिलियन डॉलर हम क्यों दे. हमारे पास पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं. ये एक रिश्वत वाली योजना है, और आप इसके बारे में जानते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के द्वारा 21 मिलियन डॉलर में से 13.4 मिलियन डॉलर की राशि पहले ही राजनीतिक और सिविल मूवमेंट के लिए बांग्लादेश के छात्रों में बांटी जा चुकी है. ये पैसे बांग्लादेश में जनवरी 2024 में हुए चुनाव से पहले बांटे गए. ये पैसे वैसे प्रोजेक्ट पर भी खर्च किए गए जिससे शेख हसीना के पद छोड़ने के सात महीने बाद भी इन चुनावों के निष्पक्ष और स्वतंत्र होने पर सवाल खड़े होते हैं.
विवाद के केंद्र में DOGE की सूची में USAID के दो अनुदान हैं, जिन्हें कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) के माध्यम से भेजा गया था. CEPPS वाशिंगटन डीसी में स्थित एक समूह है जो जटिल लोकतंत्र, अधिकार और शासन प्रोग्रामिंग के लिए काम करता है. अमेरिका के इसी CEPPS समूह को USAID से कुल 486 मिलियन डॉलर मिलने थे. DOGE के अनुसार इस फंड में मोल्दोवा में राजनीतिक प्रक्रिया को लिए मिलने वाले 22 मिलियन डॉलर और भारत में मतदान को बढ़ावा देने के लिए” मिलने वाले 21 मिलियन डॉलर शामिल हैं. माल्डोवा के लिए लोकतात्रिक भागीदारी को “बढ़ावा” देने के लिए सितंबर 2016 में पहली बार CEPPS को पहली बार अनुदान राशि दी गई. यह कार्यक्रम जुलाई 2026 तक चलना था और अब तक इस फंड से 13.2 मिलियन डॉलर वितरित किए जाने थे.
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