इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सेवानिवृत जजों को सुविधाएं देने के आदेश की अवहेलना करने के मामले उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (वित्त) एस एम ए रिजवी और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्र को न्यायिक हिरासत में ले लिया है. दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को कल बृहस्पतिवार (20 अप्रैल) को 10 बजे अवमानना का आरोप तय करने के लिए पेश करने किया जायेगा.
इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को न्यायिक हिरासत में लेने के बाद अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने कोर्ट से कुछ समय देने की मांग की,जिसे कोर्ट ने नहीं माना और कहा शाम छः बजे तक आदेश का पालन कर कल बतायें. तभी राहत मिल सकती है. अधिकारी कोर्ट की नहीं सुनते. पिछले दो माह से आदेश का पालन करने की बात कह कर टालते जा रहे हैं. हालांकि अधिकारियों ने यह भी कहा कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई जा सकती है. आदेश का पालन न कर कोर्ट से ही अपना आदेश वापस लेने की अर्जी दी है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद की खंडपीठ ने रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर दिया है.
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रिटायर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जजों को घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि चीफ जस्टिस के प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाए. इस संबंध में जारी पूर्व शासनादेश को 3 जुलाई 2018 को देखते हुए उचित आदेश जारी किया जाय. कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर अमल करते हुए वित्त विभाग इस प्रस्ताव पर 1 सप्ताह के भीतर अपना अनुमोदन दे. अनुमोदन शासनादेश को अगली सुनवाई की तिथि पर प्रस्तुत किया जाए.
कोर्ट ने कहा था कि ऐसा न करने की दशा में अपर मुख्य सचिव वित्त तथा कोर्ट में उपस्थित सभी अधिकारी 19 अप्रैल 2023 को पुनः हाजिर होंगे.
आदेश का पालन नहीं किया गया और प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय सहित दोनों अधिकारी हाजिर हुए.
उनकी तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एल पी मिश्रा ने प्रतिवाद किया .जिसपर तल्खी बढ़ गई और कोर्ट ने वित्त विभाग के दोनों शीर्ष अधिकारियों को अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया।
याची अधिवक्ता आलोक कुमार यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भी हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को वही सुविधाएं व लाभ दिया जाए जो आंध्र प्रदेश सरकार अपने राज्य के रिटायर्ड जजों को दे रही है।
कोर्ट द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए सचिव वित्त ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि इस मामले को आदेश पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए ताकि पूरे देश के लिए एक समान नियम बनाया जा सके।
कोर्ट में उपस्थित प्रमुख सचिव विधि ने कहा था इस मामले में वित्त विभाग के किसी भी आपत्ति की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। और हाईकोर्ट द्वारा भेजे गए प्रस्तावित नियमावली में आपत्ति लगाने का वित्त विभाग को कोई अधिकार नहीं है।
कोर्ट 19 अप्रैल को सभी तीनों अधिकारियों को स्पष्ट पक्ष के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया था।
कोर्ट का आदेश पालन न कर तकनीकी आपत्तियां की गई. तल्ख बहस के बीच कोर्ट ने अवमानना कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों को अभिरक्षा में ले लिया. सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. अभी भी पैरवी जारी है. दोनों अधिकारी तीन बजे से अभिरक्षा में ले लिए गए हैं.