Former CJI DY Chandrachud Bungalow : सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा केंद्र सरकार को बंगाल खाली कराने के लिए लिखे गये पत्र के बारे में मीडिया से बात करते हुए हुए पूर्व सीजेआई ने कहा है कि उनका इरादा हमेशा के लिए सरकारी बंगले में रहने का नहीं हैं. रिटायर होने के समय ही उन्होंने पहले ही वर्तमान चीफ जस्टिस के सामने अपने पुराने सरकार आवास 14 तुगलक रोड पर शिफ्ट करने की बात कही थी.
Former CJI DY Chandrachud Bungalow पर क्या कहा ?
पूर्व सीजेआई ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदु’ से बात करते हुए कहा कि ‘मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के बाद से मैं भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने तक अपने ट्रांजिट आवास से कभी बाहर नहीं गया था. चूंकि मेरा कार्यकाल [छह महीने का] बहुत छोटा है, इसलिए मैं सीजेआई के आधिकारिक आवास में शिफ्ट होना भी नहीं चाहते था. उन्होंने कहा था कि वो जिस आवास मे रह रहे हैं, वहीं रह सकते थे. मुख्यन्यायधीश के लिए आवांटित आवास किसी और न्यायाधीश को दिया जा सकता है, लेकिन उन्हें औपचारिक कारणों से मुख्यन्यायधीश के लिए बने सरकारी आवास मे शिफ्ट होना पड़ा. फिर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अंततः उन्हें 30 अप्रैल, 2025 तक घर में रहने की अनुमति दी थी. फिर उन्होंने 28 अप्रैल को एक बार फिर से समय सीमा बढ़ाने का लिए न्यायमूर्ति खन्ना को पत्र लिखा था, क्योंकि वो जनवरी से दिल्ली में किराए के आवास की तलाश कर रहे थे.
बेटियों के लिए खास सुविधाओं की जरुरत
पूर्व मुख्य न्यायधीश ने अपने पत्र में लिखा था कि उनकी असली चुनौती उनकी दो बच्चियां हैं, जो जिनकी विशेष जरुरतें हैं. उन्हें रैंप की ज़रूरत है. यहाँ तक कि बाथरूम में जाने के लिए भी हमें उनके व्हीलचेयर के लिए पर्याप्त चौड़े दरवाज़े की ज़रूरत है. लड़कियाँ 16 और 14 साल की हैं. वे सब कुछ खुद करना चाहती हैं. हमें उस समय दिल्ली में कुछ भी ढूँढ़ना बेहद मुश्किल लगा था. आधुनिक फ़्लैट में दो या ढाई फ़ीट चौड़े दरवाज़े होते हैं, व्हीलचेयर के साथ प्रवेश करने के लिए दरवाजे पर्याप्त चौड़े नहीं… बच्चे हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा हैं…चंड्रचूड़ ने लिखा कि मुझे आश्चर्य है कि लोग इन चीज़ों के बारे में नहीं सोचते.
दरअसल पूर्व सीजेआई ने दो बच्चियों को गोद लिया है जो आसाधारण बीमारियों से ग्रसित हैं, ऐसे में इन दोनों बच्चियों को विशेष इंतजाम वाले घरों की जरुरत है.
उन्होंने बताया कि उनकी बेटियाँ प्रियंका और माही नेमालाइन मायोपैथी नामक एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से पीड़ित हैं और उनका इलाज एम्स में चल रहा है. उन्होने तायि की हाल ही में उनकी बटे बीमार हो गई तो उन्हें घऱ के भीतर आईसीयू सुविधा स्थापित करनी पड़ी. जब उनकी बड़ी बेटी को शिमला की यात्रा के दौरान गंभीर श्वसन संकट का सामना करना पड़ा और उसे 44 दिनों के लिए आईसीसीयू में भर्ती कराया गया.
आवंटित सरकारी फ्लैट में चल रहा है रेनोवेशन का काम
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें न्यायमूर्ति खन्ना से उनके 28 अप्रैल के पत्र का कोई जवाब नहीं मिला और न्यायमूर्ति खन्ना मई 2025 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इस बीच, सरकार ने उन्हें तीन मूर्ति मार्ग पर वैकल्पिक आवास आवंटित किया था. वहां रेनोवेशन का काम चल रहा है. पीडब्लूडी डिपार्टमेंट यहां रेनेवोशन का काम कर रहा है. सरकार की तऱफ से कहा गया है था कि उन्हें रेनोवेशन के बाद 30 जून तक मकान हैंडओवर कर दिया जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पूरी स्थिति बताई भी थी, और कहा था कि एक महीने के लिए दिल्ली में उन्हें कोई मकान नहीं देगा, उन्हें कम से कम एक साल के लिए मकान के रेंट एग्रीमेंट करना होगा, और एक साल के लिए वो निजी मकान का भारी भरकम किराया चुकाने की स्थिति में नहीं हैं. उन्हें केवल एक दो महीने के लिए मकान की जरुरत होगी, क्योंकि एक दो महीने की भीतर उनका सरकारी आवास रेनोवेट होकर तैयार हो जायेगा.
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