दिल्ली : लगता है इन दिनों बीजेपी से भगवान नाराज़ हैं. कर्नाटक में बजरंगबली ने आशीर्वाद नहीं दिया और अब मध्य प्रदेश में होने वाले चुनावों से पहले भोलेनाथ (Ujjain Mahakal) ने कांग्रेस के हाथ में शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा ही थमा दिया है.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर BJP हारी कर्नाटक
कर्नाटक में भ्रष्टाचार ही वो मुद्दा था जिसका बचाव प्रधानमंत्री मोदी भी नहीं कर पाए और अब महाकाल मंदिर (Ujjain Mahakal) के महालोक में सप्तऋषि की 7 में से 7 मूर्तियों के टूटने की खबर ने उनके लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है.
28 मई को जब प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली में नई संसद का उद्घाटन करने वाले थे उसी सुबह उज्जैन में महाकाल Ujjain Mahakal मंदिर परिसर में बनाए गए महाकाल लोक में ऐसा अपशगुन हुआ जो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा.
My concerns were genuine
He was ill informed on #cheetah, was he ill informed on #Mahakal corridor too?
And what about new parliament? https://t.co/vG66qUS5Ig pic.twitter.com/pal4dw1QxV— Anu Mittal (@anushakunmittal) May 30, 2023
आंधी और बारिश नहीं झेल पाया महाकाललोक Ujjain Mahakal
28 मई को उज्जैन में अचानक बदले मौसम के कारण जिले भर में तेज हवा के साथ करीब आधा घंटे तक जोरदार बारिश हुई, जिसके चलते महाकाल लोक में लगाई गई सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिर गईं, हालांकि, इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन इस बारिश तूफान ने महाकाल लोक में हुए गुणवत्ताहीन खोखले निर्माण की पोल खोल दी. सोशल मीडिया पर लोग कहने लगे कि राम भक्तों ने महाकाल को भी नाराज़ कर दिया. लोग टूटी मूर्तियों की तस्वीरें शेयर कर पूछने लगे की खोखली मूर्तियों की लागत क्या है. लाखों की मूर्तियां 30 से 40 किलोमीटर रफ्तार वाली हवाओं को क्यों बर्दाश्त नहीं कर पाई.
They have not even spared temples from corruption. #RamSiyaRam#Ujjain
#40%Sarkaar#DravidianModel #GujaratModel#Mahakal #WrestlerProtest pic.twitter.com/UGLFJB3rkT— மெது வடை (@chaand_mech) May 29, 2023
पीएम मोदी ने किया था Ujjain Mahakal लोक का लोकार्पण
इसके साथ ही लोग 11 अक्तूबर 2022…यानी तकरीबन 7 महीने पहले प्रधानमंत्री के उस कार्यक्रम को भी याद करने लगे जिसमें इस महाकाल के महालोक का उद्घाटन किया गया था. तब बताया गया था कि ये प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है और इस पर पानी की तरह पैसा बहाया गया है. इस प्रोजेक्ट के जिस पहले फेज का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया था उसकी लागत 365 करोड़ बताई गई थी. वैसे इस पूरे प्रोजेक्ट की की बात करें तो अब तक इसकी लागत 1150 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है. जब ये प्रोजेक्ट शुरु हुआ था तो इसकी अनुमानित लागत करीब 700 करोड़ थी. बाद में इसे बढ़ाकर 850 करोड़ किया गया लेकिन अब तक इस परियोजना पर 1150 करोड़ से ज्यादा खर्च किया जा चुका है और अभी भी यहां काम चल ही रहा है.
महाकाल लोक के निर्माण नई संसद के निर्माण से अधिक राशि खर्च
तो चलिए अब बात कर लेते हैं महाकाल लोक में टूटी मूर्तियों की लागत की. तो जानकारी के मुताबिक 10 से 25 फीट ऊंची करीब 100 मूर्तियां जिन्हें लाल पत्थर और फाइबर रिइन्फोर्स प्लास्टिक से बनाने का टेंडर पास हुआ था. इसके लिए 7 करोड़ 75 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था. टूटने वाली 6 मूर्तियां इन्हीं 100 मूर्तियों का हिस्सा थी. ये टेंडर गुजरात की एमपी बाबरिया फर्म को मिला था और फर्म से जुड़े गुजरात, ओडिशा और राजस्थान के कलाकारों और कारीगरों ने काम किया था. मूर्तियों की क्वालिटी देखते हुए कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि महाकाल कॉरिडोर में लगाई गई मूर्तियां तीन लाख रुपये से अधिक की नहीं हैं लेकिन राज्य सरकार ने प्रत्येक मूर्ति के लिए तीन गुना से भी ज्यादा 10-12 लाख रुपये का भुगतान किया है.
महाकाल लोक निर्माण में कांग्रेस सरकार ने भी दिया था पैसा
जब इस महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ तो प्रधानमंत्री के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी कैबिनेट के कई मंत्री भी मौजूद थे. तब कांग्रेस ने कहा था कि ये प्रोजेक्ट कमलनाथ सरकार ने तैयार किया था. जबकि बीजेपी ने कांग्रेस के दावे को नकारते हुए इसे अपना प्रोजेक्ट बताया था. लेकिन अब मामला पलट गया है. बीजेपी कह रही है कि इन मूर्तियों के निर्माण का 60 प्रतिशत पैसा कांग्रेस सरकार में जारी किया गया था और उसने सिर्फ 40 प्रतिशत ही पैसा दिया था.
शिवराज कैबिनेट के मंत्री का बयान-60 प्रतिशत पैसा कांग्रेस ने खर्चा
शिवराज सिंह चौहान सरकार में नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मूर्तियों को लगाने की प्रक्रिया में चरणबद्ध तरीके से भुगतान हुआ था. मूर्तियां स्थापित करने की निविदा भाजपा के शासनकाल में जारी हुई और दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार आ गई. मूर्तियां स्थापित करने की प्रक्रिया में 60 प्रतिशत की राशि का भुगतान कांग्रेस के शासनकाल में हुआ. मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार गिर गई. उसके बाद मार्च 2021 में मूर्ति स्थापना पर 25 फीसदी राशि का भुगतान हुआ, तब तक भाजपा की सरकार सत्ता में आ चुकी थी. फिर बाकी 15 फीसदी राशि के भुगतान की बात सामने आई. इस तरह मूर्ति लगाने के काम में 60 फीसदी राशि कांग्रेस और 40 फीसदी राशि का भुगतान भाजपा के कार्यकाल में हुआ.
कहावत चरीतार्थ – नाम ना सही बदनाम ही सही, नाम तो हुआ
कांग्रेस बीजेपी के इस आरोप से भी खुश ही है. उसका कहना है कि चलो भ्रष्टाचार के नाम पर ही सही बीजेपी ने माना तो सही कि इस योजना को कांग्रेस सरकार ने बनाया था और उसने सिर्फ इसके काम को पूरा किया है. मतलब कांग्रेस कह रही है कि बदनाम हुए तो क्या नाम ना हुआ. लेकिन इस बदनामी से बचने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव का कहना है कि जहां तक भुगतान की बात है तो किसी काम का पूरा भुगतान या फाइनल पेमेंट तभी होता है जब काम गुणवत्तापूर्ण और तय मानकों के अनुरूप पाया जाता है. तो इसकी गुणवत्ता की जांच बीजेपी सरकार में हुई इसलिए जिम्मेदारी बीजेपी की बनती है.
कांग्रेस का शिवराज सरकार पर 5% कमीशनखोरी का आरोप
कांग्रेस ने तो शिवराज सिंह सरकार पर 5 प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप भी लगा दिया. उसने कहा कि मध्य प्रदेश में कोई भी काम 5 प्रतिशत कमीशन दिए बिना पास नहीं होता. उसी का नतीजा है कि काम अच्छा नहीं हुआ. आपको याद दिला दूं कि कर्नाटक में 20 प्रतिशत कमीशनखोरी के टैग ने बीजेपी को वहां से बेदखल कर दिया है. अब मध्य प्रदेश में 5 प्रतिशत कमीशनखोरी का टैग बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.
यानी लगभग नई संसद भवन की लागत में बनने वाला ये महाकाल कॉरिडोर अब बीजेपी सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है. कांग्रेस इस प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की जांच हाई कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग कर रही है. चुनाव नजदीक है और भ्रष्टाचार और डबल इंजन का विकास ये ही दो मुद्दे थे जिसपर बीजेपी हर राज्य में अब तक वोट मांगती आई है. लेकिन विकास में भ्रष्टाचार पाए जाने और भगवान के काम में भी कमीशनखोरी के आरोपों को जनता आसानी से माफ नहीं करती है. ऐसे में पहले ही अपने इंटरनल सर्वे में हार का डर देख रही बीजेपी के लिए महाकाल का ये क्रोध काफी महंगा पड़ सकता है.