रांची : इन दिनों समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड की जोरशोर से चर्चा चल रही है. इसका मतलब है एक ऐसा सेक्यूलर कानून जो देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होता है. लेकिन कई लोगों को ये कानून नही भा रहा है.ऐसे ही ट्राइबल Tribals और ट्राइबल ईसाई मिशनरी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध शुरू किया है.आदिवासी Tribals समन्वय समिति के संयोजक देव कुमार धान ने बताया कि समान नागरिकता कानून का हम विरोध कर रहे हैं. इसकी वजह उन्होंने ये बताई कि जब यह लागू हो जाएगा तो हमारा अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.
Tribals समन्वय समिति के संयोजक के तर्क
Tribals समन्वय समिति का कहना है कि हमें जो संविधान के अंतर्गत सीएनटी, एसपीटी, विलकिंग्सन रूल, पेसा कानून हमारा रीति रिवाज जो वर्षों से चलता आ रहा है ,वह कहीं ना कहीं समाप्त हो जाएगा. इसीलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं. हमारे जो जमीन है उस पर गैर आदिवासियों का कब्जा हो जाएगा. यूसीसी लगने के बाद बाकी कानून समाप्त हो जाएंगे . कहीं ना कहीं हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में केंद्र सरकार का कदम है और जबरदस्ती हम पर इस कानून को थोपा जा रहा है. इसके खिलाफ हम पांच जुलाई को राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन करेंगे.
30 जुलाई को Tribals समन्वय समिति की बैठक
Tribals समन्वय समिति का कहना है कि 30 जुलाई को पूरे देश के आदिवासी झारखंड में इकट्ठे होंगे.उनके साथ बैठकें होंगी और यूसीसी के विरोध के आगे के प्लान तय किये जायेंगे. बातचीत के दौरान बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड से आदिवासियों का हक प्रभावित होगा. उनकी दलील है कि केंद्र की मोदी सरकार एक साजिश के तहत इसको लाना चाह रही है. यह इसलिए आदिवासी हित में नहीं है क्योंकि इससे आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए बना सीएनटी और एसपीटी एक्ट प्रभावित होगा.उन्होंने कहा कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गई तो इसका असर आने वाले चुनाव पर भी दिखेगा.