बक्सर: आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटरों का अनिश्चितकालीन हड़ताल आठवें दिन भी जारी रही. गुरूवार को प्रखंड मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं व फैसिलिटेटरों ने अपनी मांगो को जोरदार तरीके से उठाया. आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि मांगे पूरी नहीं होने तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. इधर आशा कार्यकर्ताओं के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सुविधाएं बूरी तरह से प्रभावित हुई है. नियमित टीकाकरण, प्रसव तथा परिवार नियोजन जैसे काम बाधित हो रहे है. सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूताओं को हो रहा है.
बता दें कि बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ के आह्वान पर आशा व फैसिलिटेटर 13 जुलाई से ही अनिश्तकालीन हड़ताल पर चली गई है. उनकी मुख्य मांगों में मानदेय को एक हजार से बढ़ाकर 10 हजार रूपए करने, राज्य कर्मी का दर्जा देने तथा वर्ष 2019 में हुए समझौते के आधार पर पूर्व में आशा कार्यकर्ताओं पर हुए मुकदमें को वापस लेने आदि मांगे शामिल है. गुरूवार को आयोजित प्रदर्शन की अध्यक्षता प्रखंड संयोजक मुनैना देवी ने किया. इस दौरान विशेष रूप से संघ के जिला संयोजक सह राज्य उपाध्यक्ष अरूण कुमार ओझा मौजूद थे. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आशा व फैसिलिटेटर स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ है. सरकार द्वारा संचालित नियमित टीकाकरण, प्रसव तथा परिवार नियोजन को सफल बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. बावजूद राज्य सरकार इनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी चट्टानी एकता के बदौलत राज्य सरकार को झुकने पर मजबूर होने की हुंकार भरी है.
स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है असर
आशा कार्यकर्ताओं तथा फैसिलिटेटरों के हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. बता दें कि सरकार द्वारा संचालित टीककरण, प्रसव, परिवार नियोजन समेत कई अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में इनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. इनके हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही है. सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूति महिलाओं को हो रही है. पहले आशा उन्हें अपने साथ पीएचसी पर ले जाकर इलाज करवाती थी. वही उनके नियमित टीकाकरण भी करवाती थी. जिससे प्रसूताओं को काफी सहूलियत होती थी. जानकारों का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं तथा फैसिलिटेटरों की बदौलत राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा रही है.
सम्मानपूर्ण मानदेय नहीं मिलने से होती है परेशानी
आशा कार्यकर्ता संघ की प्रखंड संयोजक व मुंगाव पंचायत की आशा कार्यकर्ता मुनैना ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उन्हें मात्र एक हजार रूपए का मानदेय दिया जा रहा है. जो न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है वही इससे उनके परिवार की गाड़ी तो दूर बच्चों की पढ़ाई तथा दवाई भी नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि हमारे कामों को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सम्मानजनक मानदेय देना चाहिए.